चीन का अब रूस के साथ युद्ध हो सकता है क्योंकि इसके पीछे की वजह एक शहर बन रहा है। हालांकि यह बात जग जाहिर है कि रूस और चीन वर्षों से एक-दूसरे के मित्र हैं।
डेली न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब तक करीब 30 बार मिल चुके हैं। इस सबके बाद भी अब रूस-चीन दोस्ती में अब बड़ी दरार पड़ती दिख रही है।
इसका सबसे बड़ा कारण बना है चीन की दादागिरी और उसका विस्तारवादी रवैया। रूस और चीन के बीच गतिरोध के तीन प्रमुख कारण हैं- रूस के सुदूरवर्ती शहर व्लादिवोस्तोक पर चीन का दावा, रूस की ओर से भारत को हथियारों की डिलीवरी और चीन को S-400 मिसाइलों की डिलिवरी में देरी करना।
खबर है कि अमेरिका ने शीतयुद्ध के दौरान सोवियत संघ को निपटाने के लिए जिस तरह चीन को अपने पाले में लाया था, उसी तरह ट्रंप प्रशासन अब चीन को निपटाने के लिए रूस को अपने पाले में लाना चाह रहा है।
अब तक इसे असंभव कहे जाने वाले सुझाव पर अमेरिका के रक्षा मंत्री माइक पोम्पियो से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं समझता हूं कि वहां पर ऐसा कोई अवसर है।’
भारत के साथ लद्दाख में सीमा विवाद बढ़ा रहे चीन ने अब रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर अपना दावा किया है।
चीन के सरकारी समाचार चैनल सीजीटीएन के संपादक शेन सिवई ने दावा किया कि रूस का व्लादिवोस्तोक शहर 1860 से पहले चीन का हिस्सा था।
इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि इस शहर को पहले हैशेनवाई के नाम से जाना जाता था जिसे रूस से एकतरफा संधि के तहत चीन से छीन लिया था।
चीन में सभी मीडिया संगठन सरकारी हैं। इसमें बैठे लोग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर ही कुछ भी लिखते हैं। कहा जाता है कि चीनी मीडिया में लिखी गई कोई भी बात वहां के सरकार के सोच को दर्शाती है।
हालांकि व्लादिवोस्तोक शहर पर चीन के दावे के बाद रूस के साथ उसके संबंधों में खटास आई है। रूस व्लादिवोस्तोक को ‘रूलर ऑफ द ईस्ट’ कहता है जबकि चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स ने इसे हैशेनवाई बताया है।
चीन में ऐसे कई पोस्टर लगाए गए हैं जिसमें सरकार से हैशेवाई पर स्थिति स्पष्ट करने और क्रीमिया के बारे में अपना रुख बदलने की मांग की गई है।
रूस ने वर्ष 1904 में चीन पर कब्जा कर लिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि चीन में इस विरोध के बाद रूस को यह अहसास हो गया है कि सीमा विवाद का मुद्दा अभी खत्म नहीं हुआ है।
चीन की दावेदारी इस संबंध को खराब कर रही है। असान फोरम एडिटर गिलबर्ट रोजमैन ने कहा कि चीन ने अमेरिका के खिलाफ रूस को खुश करने के लिए उसके साथ सीमा की संधि की थी।