मदर टेरेसा को भारत रत्न मिल सकता है तो हिन्दू संतो को क्यों नहीं?- रामदेव

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योग गुरू स्वामी रामदेव ने भारतीय साधु संन्यासियों का राष्ट्र निर्माण में योगदान कम आंकने के केंद्र के रुख पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जब इस देश में मदर टेरेसा को भारत रत्न मिलता है, खिलाड़ियों को भारत रत्न मिलता है तो क्या मर्हिष दयानंद और स्वामी विवेकानंद का राष्ट्र निर्माण में योगदान राजनेताओं, कलाकारों से कम है।

पंजाब केसरी पर छपी खबर के मुताबिक, कुंभ मेले में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए रामदेव ने कहा कि आज तक एक भी संन्यासी को भारत रत्न क्यों नहीं मिला। मदर टेरेसा को इसलिए यह सम्मान दे सकते हैं क्योंकि वह ईसाई थीं, लेकिन भारत के साधु सन्यासियों को नहीं दे सकते क्योंकि वे हिंदू हैं।

तो हिंदू होना क्या गुनाह है। उन्होंने कहा कि मारे साधु संतों को भी वही गौरव मिलना चाहिए जो किसी भी मत, पंथ, संप्रदाय के लोगों को मिलता है। क्या गुरू नानक देव जी, गुरू गोबिंद सिंह जी का कम योगदान है।

ऐसे हमारे कितने ही साधु-संत हैं, जिन्होंने लाखों-करोड़ों बच्चों को शिक्षा दीक्षा संस्कार देकर उनको नवजीवन दिया।कुंभ मेले को गौरव प्रदान करने के लिए योगी सरकार का अभिनंदन करते योग गुरू ने कहा कि भारत की सनातन वैदिक संस्कृति का यह पावन संगम है, जहां एक ओर समुद्र मंथन का दर्शन होता है, वहीं दूसरी ओर लोग यहां ज्ञानामृत, योगामृत और जीवनामृत का पान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि प्रयागराज के इस कुंभ से देश को एक नई दिशा मिलेगी।