नागरिकता संसोधन बिल सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। नागरिकता (संशोधन) विधेयक यानी सिटीजनशिप (अमेंडमेंट) बिल को बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दे दी थी, जिसके जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी जा सकेगी।
न्यूज़ डेली पर छपी खबर के अनुसार, केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भाजपा के सांसदों से कहा कि यह विधेयक शीर्ष प्राथमिकता है और उतना ही अहम है, जितना जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाने को लेकर लाया गया प्रस्ताव था।
इस बिल के तहत छह समुदायों हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। बिल के जरिए मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाएगा, ताकि चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान की जा सके।
इस विधेयक में मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है, इसलिए विपक्ष ने बिल को भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए उसकी आलोचना की है।
नए विधेयक में अन्य संशोधन भी किए गए हैं, ताकि गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे लोगों तथा पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचारों का शिकार होकर भारत में शरण लेने वाले लोगों में स्पष्ट रूप से अंतर किया जा सके।
देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है। उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।
भाजपा की सहयोगी असम गण परिषद ने 2016 में लोकसभा में पारित किए जाते वक्त बिल का विरोध किया था और गठबंधन से अलग हो गई थी। जब यह विधेयक निष्प्रभावी हो गया, तब वह गठबंधन में लौट आई। भाजपा के सांसदों से सोमवार को संसद में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिल प्रस्तुत करेंगे।