अंकारा सीरियाई सीमा के 30 किलोमीटर अंदर एक बफर क्षेत्र बनाना चाहता है ताकि 2011 में सीरिया में शुरू गृहयुद्ध के बाद उसकी सीमा में आए 36 लाख शरणार्थियों को वापस भेजा जा सके
तुर्की की पूर्वोत्तर सीरिया में की गई कार्रवाई के एक दिन के भीतर 60, 000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। यह जानकारी युद्ध की निगरानी कर रहे संगठन सीरियन ऑब्ज़र्वटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने गुरुवार को दी। ब्रिटेन से संचालित संगठन ने बताया कि अधिकतर लोग पूर्वी हसाकेह शहर की ओर बढ़ रहे हैं।
Turkey’s Erdogan threatens EU with waves of refugees if it doesn’t support his country’s Syria offensive https://t.co/SFRqhz79ol
— The Wall Street Journal (@WSJ) October 10, 2019
इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, संगठन के प्रमुख रामी अब्देल रहमान ने कहा कि सबसे अधिक विस्थापन सीमावर्ती रास-अल अयिन, ताल अब्याद और देरबशिया से हुआ है।
Turkish President #RecepTayyipErdogan warned the EU that Ankara would allow millions of refugees to head to Europe if the bloc criticised #Turkey's military offensive in Syria.https://t.co/ov0AaHFoEX
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) October 10, 2019
उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय चेतावनी के बावजूद तुर्की समर्थित सीरियाई विद्रोहियों ने बुधवार को कुर्दिश नियंत्रित पूर्वोत्तर सीरिया में बुधवार को सैन्य कार्रवाई की। शुरुआत में हवाई हमले और गोलाबारी के बाद लड़ाकों ने इलाके के अहम सीमावर्ती इलाकों में कार्रवाई की।
गौरतलब है कि अंकारा सीरियाई सीमा के 30 किलोमीटर अंदर एक बफर क्षेत्र बनाना चाहता है ताकि 2011 में सीरिया में शुरू गृहयुद्ध के बाद उसकी सीमा में आए 36 लाख शरणार्थियों को वापस भेजा जा सके।
The Kurds were managing the 70,000 IS families and detainees held in camps in Northern Syria. Who will take responsibility for them is uncertain https://t.co/cs0KuNrkE2
— The Economist (@TheEconomist) October 11, 2019
मानवतावादी संगठन ने चेतावनी दी कि हालिया घटना से आठ साल से चल रहे संघर्ष में नागरिकों के लिए और घातक स्थिति पैदा हो सकती है।
एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘‘सीरिया- तुर्की सीमा के पांच किलोमीटर के दायरे में 4,50,000 लोग रहे हैं और अगर सभी पक्षों ने संयम नहीं बरता और नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं दी तो उन्हें सबसे अधिक खतरा है।’’
इस बयान पर 14 मानवतावादी संगठनों ने हस्ताक्षर किए हैं और चेतावनी दी है कि ऐसे लोगों की बड़ी संख्या होगी जिनकों सहायता नहीं पहुंचाई जा सकेगी।