डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड और रूसी प्रत्यक्ष निवेश फंड (आरडीआईएफ) ने मंगलवार को घोषणा की कि उन्होंने कसौली स्थिति केंद्रीय दवा प्रयोगशाला से जरूरी अनुमति मिलने के बाद भारत में स्पुतनिक वी वैक्सीन के लिए अनुकूली चरण 2/3 के क्लिनिकल परीक्षणों की शुरुआत की है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, यह एक बहुस्तरीय और नियंत्रित यादृच्छिक (रैंडम) अध्ययन होगा, जिसमें सुरक्षा और प्रतिरक्षण अध्ययन शामिल होंगे।
इस संबंध में डॉ. रेड्डीज और आरडीआईएफ की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि क्लिनिकल परीक्षण जेएसएस मेडिकल रिसर्च, क्लिनिकल रिसर्च भागीदार के तौर पर करवा रहा है।
डॉ. रेड्डीज ने सलाह सहायता और वैक्सीन के लिए क्लिनिकल ट्रायल केंद्रों का इस्तेमाल करने के लिए बायोटेक्नोलॉजी विभाग के बॉयोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (बीआईआरएसी) के साथ भागीदारी की है।
हाल ही में, आरडीआईएफ ने एलान किया था कि वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल डाटा के दूसरे अंतरिम विश्लेषण में पहली खुराक के 28 दिन बाद वैक्सीन 91.4 फीसदी प्रभावी साबित हुई थी।
वहीं, पहली खुराक के 42 दिन के बाद 95 फीसदी से ज्यादा प्रभावी साबित हुई थी। वर्तमान ट्रायल में 40 हजार वॉलंटियर भाग ले रहे हैं, जिनमें 22 हजार को पहली खुराक और 19 हजार से ज्यादा को पहली और दूसरी खुराक दी गई है।
डॉ. रेड्डीज के सह चेयरमैन और प्रबंध निदेशक जीवी प्रसाद का कहना है कि यह एक और महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि हम भारत में वैक्सीन लॉन्च करने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए सरकारी निकायों के साथ कई संस्थाओं के साथ सहयोग जारी रख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम आयात और स्वदेशी उत्पादन मॉडल के संयोजन के साथ कोरोना वायरस की वैक्सीन उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहे हैं।
इसी साल सितंबर में डॉ. रेड्डीज और आरडीआईएफ ने भारत में स्पुतनिक वी वैक्सीन के ट्रायल और पहली 10 करोड़ खुराकों के वितरण के लिए भागीदारी की थी।
11 अगस्त को रूस के गामालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी द्वारा विकसित स्पुतनिक वी वैक्सीन रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय में पंजीकृत हुई थी। यह कोविड-19 के खिलाफ दुनिया की पहली पंजीकृत वैक्सीन बन गई थी।