CM भूपेश बघेल ने पीएम को लिखा पत्र, नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में सौंपने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग

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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है. उन्होंने लिखा है कि एनएमडीसी द्वारा लगभग 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बस्तर स्थित निर्माणाधीन नगरनार स्टील प्लांट का निकट भविष्य में प्रारंभ होना संभावित है.

उन्होंने लिखा कि इसके शुरू होते ही बस्तर की बहुमूल्य खनिज सम्पदा का दोहन शुरू हो जाएगा. जबकि अभी तक इस औद्योगिक इकाई के शुभारंभ होने से क्षेत्र में हजारों प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध होने की संभावनाओं से लोग गौरान्वित महसूस कर रहे थे.

बघेल ने लिखा है कि विगत दिनों कुछ समाचार पत्रों एवं अन्य माध्यमों से ज्ञात हुआ कि केन्द्र सरकार बस्तर के नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में बेचने की तैयारी में है. यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रस्तावित स्टील प्लांट का निजीकरण किया जाए.

उन्होंने लिखा कि केन्द्र सरकार के इस कदम से लाखों आदिवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को गहरा आघात पहुंचेगा. उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि आप इस बात से भलीभांति अवगत होंगे कि राज्य शासन काफी अथक प्रयासों से नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सफल हुआ है.

उन्होंने लिखा कि इन परिस्थितियों में नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के समाचार से समुचे प्रदेश के साथ-साथ बस्तरवासियों को गहरा धक्का लगा है. भारत सरकार के इस प्रकार फैसले से आदिवासी समुदाय आंदोलित हो रहें है तथा इनके मध्य शासन-प्रशासन के विरुद्ध असंतोष व्याप्त हो रहा है.

मुख्यमंत्री ने अवगत कराया है कि नगरनार स्टील प्लांट के लिए लगभग 610 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की गई है, जो ’सार्वजनिक प्रयोजन’ के लिए ली गई थी. इसके साथ ही प्लांट में करीब 211 हेक्टेयर सरकारी जमीन आज भी छत्तीसगढ़ शासन की है.

उन्होंने लिखा कि इसमें से केवल 27 हेक्टेयर जमीन 30 वर्षों के लिए सशर्त एनएमडीसी को दी गई है, बाकी पूरी शासकीय जमीन छत्तीसगढ़ शासन के स्वामित्व की है और राज्य शासन ने जो जमीन उद्योग विभाग को हस्तांतरित की है, उसकी पहली शर्त यही है कि उद्योग विभाग द्वारा भूमि का उपयोग केवल एनएमडीसी द्वारा स्टील प्लांट स्थापित किये जाने के प्रयोजन के लिए ही किया जायेगा.

बता दें कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के हितों एवं उनके नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के लिए पेसा कानून-1996 लागू है. राज्य शासन, छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हितों की सुरक्षा हेतु सदैव कृत संकल्पित है. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को हमारे मार्गदर्शक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. जवाहरलाल नेहरू ने आगे बढ़ाया था और इनके महत्व को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन हमेशा इनकी प्रगति में अपना सहयोग देगा.

उन्होंने यह भी अवगत कराया कि विगत माह ही राज्य शासन के द्वारा एनएमडीसी का बैलाडिला स्थित 04 लौह अयस्क के खदानों को आगामी 20 वर्ष की अवधि के लिए विस्तारित किया गया है, जिससे कि बस्तर क्षेत्र में रोजगार के नित नये अवसर सृजित होते रहें. क्षेत्र के चहुंमुखी विकास को बढ़ावा मिले तथा यहां की जनता विकास की मुख्य धारा से जुड़ सकें.

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील की है कि केन्द्र सरकार नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण के निर्णय पर पुनः विचार करे और इसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम के रूप में यथावत प्रारंभ कर कार्यरत रहने दे, ताकि बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में आधारभूत मदद मिल सके