मरकज़ को लेकर मीडिया में रिपोर्टिंग: सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से मांगा जवाब

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मरकज मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर सवाल उठाने वाली जमीयत उलेमा हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और प्रेस काउंसिल से जवाब मांगा है।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, जमीयत के अनुसार 1995 के केबल टीवी एक्ट के तहत सांप्रदायिक तरीके से रिपोर्टिंग करने वाले चैनलों के खिलाफ सरकार कार्रवाई कर सकती है।

 

जमीयत की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि लोगों को कानून व्यवस्था के मुद्दों को भड़काने ना दें। ऐसी चीजें बाद में कानून व्यवस्था का मुद्दा बन जाती हैं। मामले पर कोर्ट 2 सप्ताह बाद फिर सुनवाई करेगा।

 

मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका कोरोना वायरस महामारी फैलने को निजामुद्दीन मरकज की घटना से जोड़कर कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत और धर्माधता फैलाने से मीडिया के एक वर्ग को रोकने की मांग की गई है।

 

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एमएम शांतनागौदर की तीन सदस्यीय खंडपीठ जमीयत की याचिका पर सुनवाई कर रही है।

 

जमीयत ने याचिका में केंद्र सरकार को फर्जी खबरों को रोकने और जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का कोर्ट से निर्देश देने का अनुरोध किया है।

 

याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुस्लिम समुदाय को दोषी ठहराने के लिए तब्लीगी जमात की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल किया जा रहा है।

 

दिल्ली के पश्चिमी निजामुद्दीन इलाके में स्थित तब्लीगी जमात मरकज में मार्च में हुए धार्मिक कार्यक्रम में करीब नौ हजार लोग शामिल हुए थे।

 

तब्लीगी मरकज का कार्यक्रम भारत में कोरोना वायरस महामारी का संक्रमण फैलने का एक मुख्य कारण बन गया था।

 

इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले अधिकांश व्यक्ति अपने धार्मिक कार्यो के सिलसिले में देश के अलग-अलग हिस्सों में गए, जहां वे अन्य लोगों के संपर्क में आए और इससे कोरोना वायरस संक्रमण फैला। पूरा प्रकरण पहला लॉकडाउन लागू होने के बाद सामने आया था।