135 वर्षों के इतिहास में पहली बार कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा संकट

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लगातार दो लोकसभा चुनाव में हार से ‘भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस’ की स्थिति एक डूबते हुए जहाज की तरह दिखाई देने लगी है। नौबत यहां तक पहुंच गई है कि उसके अपने नेता भी साथ छोड़ने लगे हैं।

पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, कांग्रेस इस स्थिति तक क्‍यों पहुंची, इस मुद्दे पर कोई भी नेता चिंतन करने को तैयार नहीं है, पर ऐसा क्‍यों? इसका कारण जानना बहुत जरूरी है। तो क्‍या यह मान लिया जाए कि कांग्रेस अपने 135 वर्षों के इतिहास में पहली बार ‘अस्तित्‍व संकट’ दौर से गुजर रही है?

इस मुद्दे पर मूल कारणों के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। लेकिन कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ नेता जयराम रमेश के एक साक्षात्‍कार पर ध्‍यान दें उन बातों के संकेत मिलते हैं जो कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को प्रतिबिंबित करता नजर आता है।

8 अगस्‍त, 2017 को एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी अस्तित्व के संकट से जूझ रही है। अगर पुराने ढ़र्रे पर चलती रही तो भविष्य अंधकारमय है। वर्तमान संकट कांग्रेस के लिए केवल चुनावी संकट नहीं है। सचमुच में पार्टी गंभीर संकट में है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्‍यक्ष अमित शाह की चुनौतियों का सामना करने के लिए कांग्रेस नेताओं द्वारा सामूहिक प्रयास करने की आवश्‍यकता है।

पुराने नारे काम नहीं करते, पुराना फार्मूला काम नहीं करता, पुराना मंत्र काम नहीं करता। भारत बदल गया है। कांग्रेस को उसी के अनुरूप बदलन होगा।