कोविड-19: 21 से 40 की उम्र में देखे जा रहे हैं 42 फीसदी मामले!

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भारत में 14 मार्च के बाद से कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।

 

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार इस वायरस से दुनियाभर में करीब 11 लाख लोग संक्रमित हैं और मरने वालों की संख्या 59,131 के पार पहुंच गई है। वहीं केवल भारत में ही कोरोना के 2,902 से ज्यादा मामले सामने आए हैं जिनमें से 68 लोगों की मौत हो चुकी है।

 

भारत में कोरोना संक्रमण को लेकर हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया, ‘अन्य देशों में जहां इस वायरस ने बुजुर्गों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, वहीं भारत में इसकी तस्वीर ठीक उलट है।

 

अब तक मिले संक्रमितों में 42 फीसदी मरीजों की उम्र 21 से 40 साल के बीच है। वहीं 33 फीसदी मरीज 41 से 60 उम्र के बीच के हैं।’

 

इसके अलावा 60 साल से ऊपर के केवल 17 फीसदी मरीज हैं और 0 से 20 साल के बीच सिर्फ 9 फीसदी मामले ही सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अब तक 17 राज्यों में 1023 कोरोना के पॉजिटिव मामले तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों में पाए हैं।

 

इंपीरियल कॉलेज लंदन के अध्ययन के मुताबिक जिनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक है उनमें कोरोना से मृत्यु दर की आशंका 10 गुना ज्यादा है जबकि 40 से कम उम्र वालों में बहुत कम। लेकिन भारत के मामले में ऐसा नहीं है। यहां सबसे ज्यादा संक्रमण युवाओं में देखा गया है।

 

इटली में 70 साल या उससे ऊपर के लोगों में 74.2 फीसदी मौतें दर्ज हुई हैं। फ्रांस में 79 प्रतिशत मौत 75 से ज्यादा की उम्र के लोगों की हुई हैं। वहीं भारत में 42 प्रतिशत संक्रमित मामले 20 से 40 साल के बीच के लोगों में देखे गए हैं।

 

खासकर बिहार में जितने भी मामले सामने आए हैं उनमें अधिकतक युवा ही हैं। हालांकि इन युवाओं ने जल्दी रिकवर कर लिया। ऐसे में ये सोचना कि कोरोना वायरस उम्र देखकर वार करता है।

 

कम से कम भारत में ये बात गलत साबित होती दिख रही है। युवाओं में इसकी मृत्युदर बेशक बेहद कम है, पर इनकी चपेट में आने की दर अधिक है।

 

भारत में 44 फीसदी आबादी 25 साल से कम उम्र की है और 41.24 फीसदी आबादी 25-54 साल के आयु वर्ग की है। ऐसे में इनके प्रभावित होने की आशंका भी बढ़ जाती है।

 

दूसरे देशों में जहां 80 साल से ऊपर की उम्र वाले इस वायरस से अधिक प्रभावित हुए हैं वहीं भारत में 80 साल से ऊपर मात्र 2 फीसदी लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं।

 

चीन के 44 हजार केसों के अध्ययन के बाद यह बात सामने आई कि जिन मरीजों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय संबंधी या सांस रोग था, उनमें मृत्यु की आशंका पांच गुना ज्यादा थीं।

 

इस बात को भारत के परिपेक्ष्य में देखने की इसलिए जरूरत है क्योंकि कामकाजी युवाओं में सेहत को लेकर सजगता कम ही दिखाई देती है। और आंकड़ों पर गौर किया जाए तो भारत में संक्रमित युवा ज्यादातर कामकाजी हैं।

 

अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के अनुसार कोरोनो को लेकर 262 मामलों में से 38 मामले ऐसे पाये गये, जब युवा ठीक होने के दो सप्ताह बाद दोबारा इस वायरस से संक्रमित हुए।

 

जो 38 लोग दोबारा इस वायरस से संक्रमित हुए उनमें सिर्फ एक व्यक्ति की उम्र 60 साल से अधिक थी जबकि 7 की उम्र 14 वर्ष से कम थी। यानी युवाओं को दोबारा संक्रमित होने का खतरा है।

 

अभी तक सामने आए मामलों को देखें तो लैंगिक तौर पर भी काफी अंतर दिखाई देता है। करीब 1,801 मामलों को लेकर जो रिपोर्ट सामने आई है उसमें 73 फीसदी पुरुष हैं जबकि महिलाएं सिर्फ 27 प्रतिशत हैं।

 

इटली के नेशनल हेल्थ इंस्टीट्यूट के मुताबिक देश में कुल संक्रमितों में से 60 फीसदी संख्या पुरुषों की है। यानी महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को इस वायरस से संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है। इसके पीछे की एक वजह उनकी अनियमित जीवनशैली है।

 

दरअसल महिलाओं की अपेक्षा पुरुष ज्यादा सिगरेट, शराब और नशे का सेवन करते हैं। इस वजह से उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है और कोई भी वायरस तेजी से उन्हें संक्रमित करता है।