क्या अमेरिका को कोरोना वायरस की खबर पहले से थी?

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पूरी दुनिया को मौत के मुंह में धकेलने वाले कोरोना वायरस के फैलने की परतें अब धीरे-धीरे खुल रही हैं।

 

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट इन पर छपी खबर के अनुसार, वायरस के फैलने को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि कोरोना वायरस एक एक्सिडेंट है या सोची समझी बहुत बड़ी साजिश?

 

ये बात साफ तो है कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैलने की शुरूआत चीन के वुहान से हुई थी लेकिन अब तक ये बात साफ नहीं हुई है कि ये वायरस वुहान की लैब से निकला था या वुहान के सी फूड मार्केट से।

 

वहीं एक खुलासे के बाद ये बात सामने आ रही है कि अमेरिका के विदेश मंत्रालय को इस वायरस के फैलने का अलर्ट दो साल पहले ही मिल चुका था लेकिन अमेरिका ने इस वायरस को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

 

अब पूरी दुनिया में इस बात की चर्चा है कि अमेरिका ने ऐसा क्यों किया?

 

कुछ लोगों का मानना है कि वायरस चीन की लैब में बना लेकिन वैज्ञानिकों की लापरवाही से फैल गया जोकि सच्चाई के ज़्यादा करीब लगती है क्योंकि इसके सबूत अब दुनिया के सामने आ रहे हैं।

 

दो साल पहले यानी साल 2018 में वुहान में मौजूद अमेरिका के 2 डिप्लोमेट और वॉशिंगटन में बैठे विदेश मंत्रालय के कुछ सीनियर अफसरों के बीच बातचीत हुई।

 

ये बातचीत वुहान की एक लैब में वायरस को लेकर चल रहे रिसर्च को लेकर थी। इस बातचीत में रिसर्च की सुरक्षा में लापरवाही को लेकर गंभीर सवाल उठाए गये और वायरस के फैलने की चेतावनी दी गई।

 

 

वॉशिंगटन में बैठे विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इस चेतावनी को बहुत हल्के में लिया। उन्होंने इसकी गंभीरता को समझे बिना कोई कार्यवाही नहीं की।

 

हैरानी की बात ये है कि ये जानकारी कोई दूसरे अधिकारी नहीं बल्कि अपने देश के राजदूत दे रहे थे। यानी 2018 में अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने वुहान से आई इस गंभीर सूचना पर काम किया होता तो आज कोरोना वायरस को पूरी दुनिया में फैलने से रोका जा सकता था।

 

इस राज़ का खुलासा तब हुआ जब ये बातचीत विदेश मंत्रालय से लीक होकर अमेरिका के एक मीडिया हाउस तक पहुंच गई। खुलासे के मुताबिक चीन के शहर वुहान के लैब में दो साल पहले इस वायरस पर रिसर्च चल रहा था लेकिन तब इसका नाम कोरोना नहीं पड़ा था।