कोरोना वायरस के बढ़ते संकट और लॉकडाउन में फंसी भारतीय अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 3 लाख करोड़ रुपये का एक और पैकेज चाहिए। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को बताया कि 1.75 लाख करोड़ रुपये की वित्तमंत्री की पहले पैकेज की घोषणा में सिर्फ 73 हजार करोड़ ही नए प्रावधान के तहत शामिल थे। शेष राशि का प्रावधान बजट में ही कर दिया गया था।
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का कहना है कि पहले से दबाव में चल रही विकास दर अब 2020-21 में 2 फीसदी तक जा सकती है। इस दौरान श्रम और पूंजीगत आय में 3.60 लाख करोड़ के घाटे का अनुमान है, जिसे पूरा करने के लिए कम से कम 3 लाख करोड़ का एक और पैकेज देना होगा। इस दौरान होटल, कारोबार, शिक्षा, पेट्रोलियम और कृषि क्षेत्र के अलावा स्वरोजगार करने वालों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। इनका जीडीपी में 30 फीसदी योगदान होता है।
बैंकों के 98 फीसदी कर्ज पर असर
एसबीआई नोट में बताया गया कि बैंकों की ओर से बांटे गए 98% कर्ज कोरोना प्रभावित 284 जिलों में हैं, जहां अतिरिक्त प्रयास करने होंगे। मार्च में कर्ज के मामले बढ़े थे। इस दौरान 2.10 लाख करोड़ के कर्ज में 1.20 लाख करोड़ औद्योगिक और 20 हजार करोड़ के पर्सनल लोन बांटे गए।