उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के बाद गिरफ्तार किए गए चार लोगों को अदालत के आदेश पर रिहा कर दिया गया है। इनमें एक सरकारी कर्मचारी भी शामिल है।
नवोदय टाइम्स पर छपी खबर के अनुसार, अभियोजन के मुताबिक, पुलिस ने अदालत में दायर की गई अपनी रिपोर्ट में उन्हें क्लीन चिट दी जिसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
#Breaking | Court dismisses the charges filed by @Uppolice
against 4 people in the CAA violence. The 4 accused had to serve 11 days in jail.TIMES NOW’s Amir Haque with details. pic.twitter.com/e1RxDPxd57
— TIMES NOW (@TimesNow) January 1, 2020
जिला रोकागार कार्यालय ने कहा कि वरिष्ठ लिपिक मोहम्मद फारूक 20 दिसंबर को प्रदर्शनों के दौरान अपने दफ्तर में थे।
इस बीच, सिविल लाइंस और खालापार इलाके में प्रदर्शन के दौरान संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए अज्ञात लोगों के खिलाफ चार और मामले दर्ज किए गए हैं।
UP Police 'Framed' 4 Muslim men.
4 Muslims were arrested by police for violence and rioting in Muzaffarnagar, although they were taking their father to Hospital.
They released from jail after court found charges BASELESS! They had to spent 10 days in Jail.#CAA_NRC_Protests pic.twitter.com/7s8BFbcJwg
— Md Asif Khan (@imMAK02) January 2, 2020
इससे पहले, जिले में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के सिलसिले में 40 मामले दर्ज किए गए थे और 73 लोगों को हिरासत में लिया गया था। इसके साथ ही, यूपी पुलिस की विशेष जांच प्रकोष्ठ ने हिंसा के मामलों की जांच शुरू कर दी है।