अतिरिक्त सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट ने गुरुवार को कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। दोनों को 2002 में गुजरात सरकार को अस्थिर करने और राज्य को बदनाम करने की साजिश रचने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा था कि तीनों, तीस्ता, श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने राज्य सरकार के खिलाफ याचिका दायर करने में जकिया जाफरी का इस्तेमाल किया था।
अभियोजन पक्ष ने अदालत के समक्ष दस्तावेज भी पेश किए, जिसमें कहा गया था कि कार्यकर्ता ने राज्य को बदनाम करने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाए थे। उसने पूर्व में अदालत के समक्ष झूठे हलफनामे प्रस्तुत किए थे।
उसने अंग्रेजी में दंगा पीड़ितों के हलफनामे तैयार किए थे और उन पर हस्ताक्षर करवाकर अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था। उसने राज्य के खिलाफ झूठे गवाह भी बनाए थे।
तीस्ता और श्रीकुमार दोनों के अधिवक्ताओं ने कहा कि वे निर्दोष हैं और उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है जैसा कि प्राथमिकी या अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत जवाब में कहा गया है।
उनके अधिवक्ताओं ने यह भी प्रस्तुत किया कि यह एक साधारण जमानत आवेदन की सुनवाई है, जहां सर्वोच्च न्यायालय के आदेश, निर्णयों को उद्धृत करने की आवश्यकता नहीं है। अदालत 26 जुलाई को अपना आदेश सुना सकती है।