दुनिया भर में अत्यधिक संक्रामक कोरोनोवायरस प्रकोप के बीच 30 मिलीलीटर की बोतल के लिए हैंड सेनिटाइज़र की कीमतें अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से 16 गुना तक बढ़ गई हैं।
चूंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी कि वे अपने हाथों को साफ रखें ताकि वे आंखें, नाक, मुंह को छूने से बचें। वायरस हमारे शरीर में प्रवेश कर सकता है, हैंड सैनिटाइजर के लिए एमआरपी, फेस मास्क एमआरपी से 16 गुना तक बढ़ जाते हैं।
भारत अरबों का देश भारी जोखिम में है क्योंकि प्रकोप घातक है और दिन पर दिन बढ़ रहा है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, कोरोना वायरस के भय के चलते आज लोग हैंड सैनीटाइजर व मास्क की जमकर खरीद कर रहे हैं ताकि अधिक सावधानी बरती जा सके लेकिन कुछ बड़े होलसेलर लोगों के इस भय का नाजायज फायदा उठा रहे हैं।
उक्त बातों का प्रकटावा सीनियर कांग्रेसी नेता व पूर्व पार्षद दिनेश ढल्ल ने बातचीत के दौरान किया। उन्होंने कहा कि आम दिनों में 35 रुपए में बिकने वाला मास्क 100 रुपए में बिक रहा है जबकि सैनीटाइजर के दाम भी इन दिनों आसमान छू रहे हैं।
ढल्ल ने कहा कि सेहत विभाग की नाक के नीचे सैनीटाइजर व मास्क रूटीन से 3 गुणा महंगे दामों पर बेचे जा रहे हैं लेकिन मार्कीट में पूछ-पड़ताल करने वाला कोई नहीं है।
इसके चलते अधिकतर बड़े दुकानदार महंगे दामों में सामान बेच कर चांदी कूट रहे हैं, जिसका प्रभाव आम जनता की जेब पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मार्कीट में बड़े स्तर पर जाली माल आ चुका है लेकिन इसकी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
ऐसे कई सैनीटाइजर मार्कीट में आ चुके हैं जिनका नाम पहले कभी नहीं सुना। उक्त सैनीटाइजर गलत कैमीकल का इस्तेमाल करके बनाए जा रहे हैं क्योंकि इन सैनीटाइजरों को बनाने का कोई मापदंड नहीं है।
ढल्ल ने कहा कि देश में जिस कदर कोरोना वायरस का खौफ देखने को मिल रहा है उससे सेहत विभाग बेखबर नजर आ रहा है क्योंकि दवाओं की मार्कीट में सेहत विभाग की टीमें दिखाई भी नहीं दे रहीं।
इसके चलते कुछ बड़े दुकानदारों ने सैनीटाइजर व मास्क को बड़े स्तर पर स्टाक कर लिया है और महंगे दामों पर इन्हें बेचकर लाखों-करोड़ों रुपए कमाने के मंसूबे पाल रहे हैं।
उक्त दुकानदार डर दिखाकर लोगों को लूटने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे लोगों पर सेहत विभाग को समय रहते उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हैंड सैनीटाइजर व मास्क के रेट निर्धारित किए जाने चाहिएं ताकि कोई भी दुकानदार इसे तय दाम से अधिक के मूल्य पर न बेच सके। रेट निर्धारित होने से आम जनता भी इसका इस्तेमाल करने लगेगी।