कोविड-19 वैक्सीन को लेकर स्वास्थ्य मंत्री ने दिया बड़ा बयान!

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने उम्मीद जताते हुए कहा है कि भारत में कोरोना वायरस की वैक्सीन अगले साल की शुरुआत तक आ जाएगी।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, हर्षवर्धन मंत्रियों के समूह (GoM) की 21वीं बैठक में बोल रहे थे। इस दौरान उनके साथ नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी और विदेश मंत्री एस.जयशंकर भी मौजूद थे।

 

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगले साल की शुरुआत में हमें एक से अधिक स्रोतों से कोरोना वायरस की वैक्सीन मिल जाएगी। हमारे विशेषज्ञ समूह देश में वैक्सीन के वितरण की योजना बनाने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं।’

 

इससे पहले रविवार को संडे संवाद में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि भारत जैसे बड़े देश में टीके की आपूर्ति को प्राथमिकता देना कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे संक्रमण का खतरा, विभिन्न जनसंख्या समूह के बीच अन्य रोग का प्रसार, कोविड-19 मामलों के बीच मृत्यु दर और कई अन्य।

 

उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण यह सुनिश्चित करना है कि अंतिम स्थान तक टीके की आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आए।ॉ

 

अमेरिकी दवा निर्माता फीजर व उसकी जर्मन साझेदार बायोएनटेक, अमेरिकी मॉडर्ना तथा ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका व सहयोगी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे बड़े पैमाने पर परीक्षण के परिणाम के बारे में सबसे पहले जानकारी दे सकते हैं। हालांकि जानसन एंड जानसन की वैक्सीन का ट्रायल रोक दिया गया है।

 

कंपनियां फिलहाल वॉलंटियर्स पर वैक्सीन के प्रभाव का आकलन कर रही हैं। वह देख रही हैं कि जिन स्वस्थ वॉलंटियर्स को वैक्सीन दी गई और जिन्हें डमी वैक्सीन दी गई उनके स्वास्थ्य में क्या बदलाव आए हैं।

 

हालांकि, परीक्षण में शामिल वॉलंटियर्स व डॉक्टर भी यह नहीं जानते हैं कि किसे वैक्सीन दी गई और किसे डमी वैक्सीन दी गई।

 

अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन व विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीन के प्रभाव के आकलन के लिए एक समान न्यूनतम मानक तय किए हैं।

 

इनका मानना है कि वैक्सीन का प्रभाव कम से कम 50 फीसद दिखना चाहिए। यानी, परीक्षण में शामिल जिन वॉलंटियर्स को डमी वैक्सीन दी गई है उनके मुकाबले सही वैक्सीन वालों पर दोगुना प्रभाव दिखाना चाहिए।