दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम आ गया है। इसमें अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी धुआंधार प्रदर्शन करते हुए 62 सीटों पर विजय पताका फहराई है।
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, बीजेपी को 8 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा है लेकिन कांग्रेस का इस बार भी खाता नहीं खुल पाई है। भाजपा के लिए चुनाव के ये नतीजे किसी सदमे से कम नहीं हैं।
क्योंकि इसके साथ ही भाजपा अब यह सातवां राज्य बन गया है जहां हार का सामना करना पड़ा है। भाजपा के नेता चुनाव में जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन जब नतीजे आए तो हर कोई आम आदमी पार्टी की सुनामी देखकर हैरान रह गया।
विधानसभा चुनाव में शाहीन बाग को भाजपा ने जमकर मुद्दा बनाया था। गृह मंत्री अमित शाह से लेकर अन्य नेताओं ने खूब बयानबाजी की। दिल्ली के स्थानीय मुद्दों पर बात नहीं करके बीजेपी राष्ट्रवाद, आर्टिकल 370 और शाहीन बाग को ही उछालती रही।
बीजेपी ने न तो दिल्ली के विकास का कोई विजन पेश किया और न ही लोगों को भरोसा दिलाने में कामयाब रही।
अरविंद केजरीवाल के सामने किसी चेहरे को पेश नहीं करना भी भाजपा के हार का एक कारण माना जा रहा है।दरअसल हरियाणा और झारखंड की रणनीति से इतर बीजेपी ने दिल्ली में किसी चेहरे पर दांव नहीं लगाया और पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ा।
इसे लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनौती भी दी थी कि बीजेपी अपना सीएम उम्मीदवार घोषित करे। हालांकि केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि मनोज तिवारी की अगुआई में चुनाव लड़ा जाएगा, ताकि बाद में उन्होंने इस पर यू-टर्न ले लिया था।
मुख्यमंत्री केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जहां लोगों के बीच अपने 5 साल में किए काम का लेखा-जोखा पेश किया। वहीं बीजेपी ने स्थानीय मुद्दों पर कोई बात नहीं की।
बीजेपी ने दिल्ली में पानी की खराब क्वॉलिटी पर बात रखी, लेकिन इतने जोरदार तरीके से नहीं कि लोग उससे प्रभावित हो सकें। भाजपा सिर्फ पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार के ही कामकाज गिनाती रही।