दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदुषण से बिगड़ सकते है मामले!

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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने कहा है कि वायु संचार सूचकांक 11500 वर्ग मीटर प्रति सेकंड रहने की उम्मीद है, जो प्रदूषक तत्वों को बिखेरने के लिए अनुकूल है।

 

नवोदय टाइम्स पर छपी खबर के अनुसार, वायु संचार सूचकांक 6000 से कम होने और औसत वायु गति 10 किलोमीटर प्रतिघंटा से कम होने पर प्रदूषक तत्वों के बिखराव के लिए प्रतिकूल स्थिति होती है।

 

प्रणाली की ओर से कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता पर पराली जलाने का प्रभाव सोमवार तक काफी बढ़ सकता है।

 

मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दिन के वक्त उत्तर पश्चिमी हवाएं चल रही हैं और पराली जलाने से पैदा होने वाले प्रदूषक तत्वों को अपने साथ ला रही हैं।

 

रात में हवा के स्थिर होने तथा तापमान घटने की वजह से प्रदूषक तत्व जमा हो जाते हैं। इससे पहले फेसबुक लाइव कार्यक्रम में लोगों से बात करते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि देश में वायु प्रदूषण के बड़े कारण यातायात, कचरा, धूल, पराली आदि हैं।

 

उल्लेखनीय है कि गैर बासमती धान की पराली चारे के रूप में बेकार मानी जाती है क्योंकि इसमें ‘सिलिका’ की अधिक मात्रा होती है और इसीलिए किसान इसे जला देते हैं।

 

दिल्ली में वायु गुणवत्ता रविवार को खराब श्रेणी में दर्ज की गई, क्योंकि पड़ोसी राज्यों में 1 दिन में पराली जलाने की सर्वाधिक 1230 मामले दर्ज किए गए। वहीं दिल्ली पुलिस ने भी पराली जलाने को लेकर सख्ती दिखाई।

 

नागलोई पुलिस ने इस मामले में एक महिला समेत दस खेत मालिकों पर पराली जलाने को लेकर एनवायरमेंट प्रोटक्शन एक्ट 1986 व अन्य धाराओं के तहत एफ आई आर दर्ज की है।

 

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बॉर्डर इलाके में काफी खेत हैं। उन जिलों के अधिकारियों को खास तौर पर निर्देश दिए गए हैं अगर कहीं पर भी पराली जलाई जाती है तो उन पर तुरंत एफ आई आर दर्ज करें। बीट अफसरों को भी विशेष तौर पर ध्यान देने के लिए कहा गया है।

 

नागलोई पुलिस को मुंडका गांव में रहने वाले एक व्यक्ति से खेतों में पराली जलाने की जानकारी मिली थी।

 

एसडीएम पुलिस और डीपीसीसी ऑफिसर मौके पर पहुंचे सभी खेतों के खसरा नंबर लेकर उनके मालिकों को बुलाया गया। जली हुई और जलाई जा रही पराली की फोटो लिए गए, जिसके बाद उन सभी पर एफ आई आर दर्ज की गई।