ओवैसी की चुनावी रणनीति न तो AIMIM के लिए फायदेमंद है और न ही धर्मनिरपेक्ष पार्टीयों के लिए- अख़लाक़ अहमद

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ओवैसी की चुनावी रणनीति अक्सर धर्मनिरपेक्ष दलों के लिए मुश्किलें खड़ी की है। इसका ताज़ा प्रमाण महाराष्ट्र चुनाव है। जहां ज्यादातर सीटों पर उनकी पार्टी सिर्फ़ वोट काटने का कार्य किया है।

 

ओवैसी की इसी चुनावी रणनीति को लेकर दिल्ल कांकांग्रेस के दिग्गज नेता अख़लाक अहमद ने जमकर हमला बोला है। उन्होंने कई तथ्यों को सामने रखते हैं ओवैसी की चुनावी रणनीति पर सवाल उठाए हैं।

 

दिल्ली कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अख़लाक अहमद ने कहा कि असदुददीन ओवैसी और उनकी चुनावी स्ट्रेटजी न तो उनके लिए फायदेमंद है और न ही धर्मनिरपेक्ष दलों के लिए बल्कि उनके ना समझी भरे कदम से जिसका वह विरोध कर रहे हैं।

 

 

उल्टा उसी को फायदा पहुंचता है ये वह जान बूझ कर करते हैं या उनकी राजनीतिक नादानी यह तो वही बेहतर बता सकते हैं लेकिन मुझे नहीं लगता कि वह राजनीतिक तौर पर नादान हैं बल्कि ओवैसी साहब यह सब एक प्लान के साथ करते हैं।

 

हरियाणा में ओवैसी साहब चुनाव नहीं लड़ते मध्यप्रदेश और राजस्थान में चुनाव नहीं लड़ते अपने आसपास के प्रदेश केरल, तमिलनाडु छत्तीसगढ़ में चुनाव नहीं लड़ते यह चुनाव लड़ते हैं महाराष्ट्र में कर्नाटक में यूपी में बिहार में जहां यह ध्रुवीकरण करा कर अपना फायदा नहीं बल्कि उसको फायदा पहुंचाने का जरिया बनते हैं जिसका यह नुकसान पहुंचाने का ढोंग करते हैं।

दस साल कांग्रेस के साथ रहे तब कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष होने का सर्टिफिकेट देते रहे अब जिस दल को वह फायदा पहुंचाने के लिए काम करते हैं मुसलमान उसको ना पसंद करता है तो रास्ता साइड से फायदा पहुंचाने का अपना लिया है।

 

थोड़ा सा भी राजनीतिक समझ रखने वाला हर व्यक्ति यह जानता है कि ध्रुवीकरण करण से किसको फायदा पहुंचता है और कौन पार्टी है, जो हमेशा चुनाव से पहले ध्रुवीकरण कराना चाहता है।

 

आर एस एस और भाजपा हमेशा चुनाव से पहले ऐसे ही इशू पर बहस करते और कराते हैं जिससे उनकी नफ़रत एजेंडे पर धार्मिक ध्रुवीकरण हो ओवैसी साहब इसी ध्रुवीकरण को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं।