शरजील इमाम पर चलेगा राजद्रोह का मुकदमा!

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अदालत ने पिछले साल दिसंबर में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से जुड़े एक मामले में जेएनयू के छात्र शरजील इमाम के खिलाफ राजद्रोह के आरोप में मुकदमा चलाने का निर्देश दिया है।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, आरोप है कि इसके परिणामस्वरूप जामिया मिलिया इस्लामिया के पास पुलिस को सार्वजनिक संपत्ति और चोटों का नुकसान हुआ ।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने इमाम के खिलाफ धारा 124ए (राजद्रोह), 153ए (धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 153 बी (आरोप, राष्ट्रीय एकता के प्रतिकूल दावे) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के 505 (सार्वजनिक शरारत) के तहत दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया है।

अदालत ने इससे पहले इमाम के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 के तहत अपराध का संज्ञान लिया था, लेकिन आईपीसी की धारा 124ए, 153ए, 153 बी, 505 के तहत अपराधों का संज्ञान संबंधी फैसला मुकदमा चलाने के लिए सरकार से मंजूरी मिलने के निर्णय तक टाल दिया था।दिल्ली पुलिस द्वारा पूरक आरोप पत्र दाखिल करने के बाद अदालत ने संबंधित विभाग की मंजूरी मिलने के बाद यह संज्ञान लिया है।

अदालत ने कहा कि सभी तथ्यों को देखने के बाद वे महसूस करते है कि आरोपी के खिलाफ धारा 124ए/153ए/153बी/505 आईपीसी के तहत मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य है।

दिल्ली पुलिस ने इस साल जुलाई में इस मामले में इमाम के खिलाफ एक और पूरक आरोपपत्र दाखिल किया था । आरोप है कि इमाम ने सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय समेत कई जगहों पर भड़काऊ भाषण दिए।

पुलिस ने आरोपपत्र में कहा कि इमाम ने कथित तौर पर केंद्र के प्रति घृणा, अवमानना और असंतोष भड़काने वाले भाषण दिए और लोगों को भड़काया जिसके कारण पिछले साल दिसंबर में हिंसा हुई थी।

वर्तमान मामला नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करने की आड़ में रची गई एक गहरी साजिश से सामने आया है ।इससे पहले भी राष्ट्रपति की मंजूरी से पहले वर्तमान आरोपी (इमाम) अपने सहयोगियों के साथ मुस्लिम बहुल इलाकों में इस विधेयक के बारे में प्रचार करके झूठ प्रसारित करने में शामिल थे कि भारत सरकार का इरादा मुसलमानों की नागरिकता छीन लेने का था और यह भी कि मुसलमानों को नजरबंदी शिविर में रखा जाएगा ।

आरोप पत्र में कहा गया है कि झूठ और अफवाहें लगातार शरारती इरादे से फैलाई जा रही थीं कि नागरिकता संशोधन विधेयक, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के साथ मिलकर भारतीय मुसलमानों की नागरिकता छीन लेने का इरादा है।

झूठे संदेश सोशल मीडिया पर साझा किए गए थे, पर्चे जनता के बीच वितरित किए गए थे, व्यक्तिगत, समाजों के सदस्यों/गैर सरकारी संगठन के भाषण देने के लिए उतारा गया था जो निर्दोष किशोर का मानना है कि कैब वास्तव में भारतीय मुस्लिम समुदाय की नागरिकता छीन लेगी।

वर्तमान मामला नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करने की आड़ में रची गई एक गहरी साजिश से सामने आया है।

इससे पहले भी राष्ट्रपति की मंजूरी से पहले वर्तमान आरोपी (इमाम) अपने सहयोगियों के साथ मुस्लिम बहुल इलाकों में इस विधेयक के बारे में प्रचार करके झूठ प्रसारित करने में शामिल थे कि भारत सरकार का इरादा मुसलमानों की नागरिकता छीन लेने का था और यह भी कि मुसलमानों को नजरबंदी शिविर में रखा जाएगा।

इमाम को 13 दिसंबर को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित भड़काऊ भाषण के लिए गिरफ्तार किया गया था, जहां उन्होंने कथित तौर पर असम और बाकी पूर्वोत्तर को भारत से काटने की धमकी दी थी ।