कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 21 दिनों से चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच एक बड़ा मामला सामने आया है।
सरकार द्वारा मांगे नहीं माने जाने से दुखी एक सिख संत (ग्रंथि) राम सिंह नानकसर ने बुधवार शाम को सिंघु बॉर्डर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
इस घटना से किसानों में आक्रोश है। राम सिंह हरियाणा और पंजाब में हजारों अनुयायियों के धार्मिक उपदेशक बताए जा रहे हैं।
हे राम, यह कैसा समय !
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) December 16, 2020
ये कौन सा युग !!
जहाँ संत भी व्यथित हैं।
संत राम सिंह जी सिंगड़े वाले ने किसानों की व्यथा देखकर अपने प्राणों की आहुति दे दी।
ये दिल झंकझोर देने वाली घटना है।प्रभु उनकी आत्मा को शांति दे।
उनकी मृत्यु, मोदी सरकार की क्रूरता का परिणाम है।#किसान_आंदोलन pic.twitter.com/Ook9Jqxwcc
इंडिया टुडे के अनुसार मृतक सिख संत राम सिंह (65) हरियाणा के करनाल के रहने वाले थे। वह हरियाणा SGPC सहित कई सिख संगठनों में एक पूर्व पदाधिकारी भी रह चुके थे।
करनाल के संत बाबा राम सिंह जी ने कुंडली बॉर्डर पर किसानों की दुर्दशा देखकर आत्महत्या कर ली। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएँ और श्रद्धांजलि।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 16, 2020
कई किसान अपने जीवन की आहुति दे चुके हैं। मोदी सरकार की क्रूरता हर हद पार कर चुकी है।
ज़िद छोड़ो और तुरंत कृषि विरोधी क़ानून वापस लो! pic.twitter.com/rolS2DWNr1
वह 15 दिसंबर को ही किसानों के आंदोलन में शामिल हुए थे, लेकिन बुधवार शाम को उन्होंने लाइसेंसी बंदूक से खुद को गोली मार ली।
गोली की आवाज सुनकर पहुंचने अन्य किसानों ने उन्हें निजी अस्पताल में पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
संत राम सिंह का सुसाइड नोट भी मिला हैं। उन्होंने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उनके हक के लिए आवाज बुलंद करना बताया है।
उन्होंने लिखा, ‘किसानों का दुख देखा, बहुत दिल दुखा। सरकार न्याय नहीं दे रही। जुल्म करना पाप है, जुल्म सहना भी पाप है।
किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ नहीं किया। कइयों ने सम्मान वापस किए। यह जुल्म के खिलाफ आवाज है। वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह।’
साभार- न्यूज़ बाइट्स हिन्दी