सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विवाद के एक सौहाद्र्रपूर्ण समाधान की संभावना तलाशने के लिए दिल्ली हिंसा के पीड़ितो की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया।
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली हिंसा मामले पर सुनवाई में देरी उचित नहीं है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को हाईकोर्ट से इस मामले को प्राथमिकता के साथ सूचीबद्ध करने के लिए भी कहा है।
न्यायाधीश बीआर गवई और सूर्यकांत के साथ प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हम दिल्ली हाईकोर्ट से अनुरोध करते हैं कि वह शुक्रवार को मामले को सूचीबद्ध करे, क्योंकि मामले में देरी उचित नहीं है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हिंसा से संबंधित याचिका पर शुक्रवार को अन्य प्रासंगिक मामलों के साथ सुनवाई की जानी चाहिए और हाईकोर्ट को इस पर जल्द से जल्द सुनवाई करनी चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 13 अप्रैल को दिल्ली हिंसा के मामले को सूचीबद्ध किया था। देरी होने पर पीडि़तों के वकील ने शीर्ष अदालत का रुख किया था।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि शांति संभव है और हम चाहते हैं कि कुछ लोग इस संदेश का प्रसार करें। उन्होंने हिंसा के बाद शांति के लिए राजनीतिक नेताओं को शामिल करने का भी सुझाव दिया और सभी पक्षों से कुछ व्यक्तियों के नाम देने को कहा, जो सहायता कर सकते हैं।
बोबडे ने कहा, राजनीतिक नेता एकजुट हो सकते हैं और इस मुद्दे को हल कर सकते हैं।
हमारे राजनीतिक नेताओं को जाकर लोगों से बात करनी चाहिए, हम मध्यस्थता का आदेश नहीं दे रहे हैं। हम देखना चाहते हैं कि क्या शांति संभव है। उन्होंने कहा कि शांति बनी रहनी चाहिए और इस दिशा में हाईकोर्ट को सभी प्रयास करने चाहिए।