व्हाइट हाउस के मुताबिक यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद लिया गया है
अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका की सेना उत्तर पूर्वी सीरिया से हट जाएगी. आशंका जताई जा रही है कि तुर्की यहां कुर्द लड़ाकों पर हमला करेगा और अमेरिकी सेना इन हमलों की राह में नहीं आएगी.
This decision fails on moral and strategic grounds. It will reinforce already growing doubts about US reliability, jeopardize the Kurds who have been a valuable partner, create new space for terrorists, and reward Turkey, anything but an ally in practice. https://t.co/HJvZHyz7jD
— Richard N. Haass (@RichardHaass) October 7, 2019
सीरिया में इस्लामिक स्टेट को हराने में कुर्द लड़ाकों की भूमिका बेहद अहम रही है. वास्तव में इस्लामिक स्टेट की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि कुर्दों ने बड़ी बहादुरी से उनका सामना किया लगभग सभी मोर्चों पर.
Pres. @realDonaldTrump’s reckless foreign policy mirrors his domestic. He even deserts our friends
We can't stay in the Middle East indefinitely, but abandoning the Kurds—who have fought shoulder to shoulder with our troops against ISIS—is morally wronghttps://t.co/p64PiKbH8x
— Chuck Schumer (@SenSchumer) October 7, 2019
सालों की जंग के बाद इस्लामिक स्टेट के पांव उखड़ने पर अब अमेरिका तुर्की के सामने कुर्दों को अकेला छोड़ निकल रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोवान ने सीमा पर सैन्य अभियान शुरू करने की धमकी दी है. वह कुर्द सेना को अपने देश के लिए खतरा मानते हैं.
Trump is giving Turkey what it wants and abandoning the Kurds, who have been a key partner advancing US interests.
There are two Trump Towers in Turkey.
— Brian Klaas (@brianklaas) October 7, 2019
अमेरिका के दोनों राजनीतिक दल रिपब्लिकन और डेमोक्रैट चेतावनी दे रहे हैं कि तुर्की को हमले की छूट देने से वहां कुर्दों का नरसंहार शुरू हो जाएगा और पूरी दुनिया के अमेरिकी सहयोगियों में इसका गलत संदेश जाएगा.
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव स्टेफानी ग्रिशम ने रविवार को देर शाम जारी बयान में कहा है कि अमेरिकी सेना उत्तरी सीरिया में , “ना तो अभियान का समर्थन करेगी ना उसमें शामिल होगी और वह उस इलाके में अब और नहीं रहेगी.” इस बयान में कुर्दों के भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.
उत्तरी सीरिया में करीब 1000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि उन्हें इस इलाके से हटाया जाएगा और फिर इसके बाद तुर्की की सेना और कुर्द लड़ाकों के बीच भयानक जंग हो सकती है.
व्हाइट हाउस के मुताबिक यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद लिया गया है.
ट्रंप ने अपने चुनावी वादे में विदेशों में तैनात सेना की वापसी की बात कही थी. जाहिर है कि वे इसे पूरा करना चाहते हैं लेकिन सीरिया, इराक और अफगानिस्तान से सेना की तुरंत वापसी से अमेरिकी अधिकारियों और सहयोगियों को चिंता हो रही है. इससे इन इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से खालीपन पैदा होगा जिसका फायदा अवांछित तरीके से उठाया जा सकता है.
ट्रंप के इस कार्यकाल में अब कम समय बचा है और उन पर महाभियोग चलाने जैसी खबरें भी आ रही हैं. ऐसे में वे अपने बचे कार्यकाल का इस्तेमाल अपने राजनीतिक वादों को पूरा करने में कर रहे हैं. इसके लिए विदेशों में अमेरिकी सहयोगियों को चिंता में डालने की भी परवाह उन्हें नहीं है.
संसद में कई प्रमुख रिपब्लिकन नेता भी इस फैसले से हैरान हैं. हाउस में अल्पसंख्यक नेता केविन मैकार्थी ने सोमवार को कहा कि इस बारे में ट्रंप से उनकी बात नहीं हुई है और उन्हें चिंता हो रही है.
उन्होंने कहा, “मैं भरोसा चाहता हूं कि जिन लोगों के साथ हम लड़ रहे हैं और जो हमारी मदद कर रहे हैं, उन्हें दी गई जुबान पर हम कायम रहेंगे. अगर आप प्रतिबद्धता दिखाते हैं और कोई आपके साथ लड़ रहा है तो अमेरिका को अपनी बात पर डटे रहना चाहिए.”
साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी