तुर्की संग लड़ाई में कुर्द का साथ अब नहीं देंगे अमेरिका?

   

व्हाइट हाउस के मुताबिक यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद लिया गया है

अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका की सेना उत्तर पूर्वी सीरिया से हट जाएगी. आशंका जताई जा रही है कि तुर्की यहां कुर्द लड़ाकों पर हमला करेगा और अमेरिकी सेना इन हमलों की राह में नहीं आएगी.

सीरिया में इस्लामिक स्टेट को हराने में कुर्द लड़ाकों की भूमिका बेहद अहम रही है. वास्तव में इस्लामिक स्टेट की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि कुर्दों ने बड़ी बहादुरी से उनका सामना किया लगभग सभी मोर्चों पर.

सालों की जंग के बाद इस्लामिक स्टेट के पांव उखड़ने पर अब अमेरिका तुर्की के सामने कुर्दों को अकेला छोड़ निकल रहा है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयब एर्दोवान ने सीमा पर सैन्य अभियान शुरू करने की धमकी दी है. वह कुर्द सेना को अपने देश के लिए खतरा मानते हैं.

अमेरिका के दोनों राजनीतिक दल रिपब्लिकन और डेमोक्रैट चेतावनी दे रहे हैं कि तुर्की को हमले की छूट देने से वहां कुर्दों का नरसंहार शुरू हो जाएगा और पूरी दुनिया के अमेरिकी सहयोगियों में इसका गलत संदेश जाएगा.

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव स्टेफानी ग्रिशम ने रविवार को देर शाम जारी बयान में कहा है कि अमेरिकी सेना उत्तरी सीरिया में , “ना तो अभियान का समर्थन करेगी ना उसमें शामिल होगी और वह उस इलाके में अब और नहीं रहेगी.” इस बयान में कुर्दों के भविष्य के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.

उत्तरी सीरिया में करीब 1000 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं. एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी का कहना है कि उन्हें इस इलाके से हटाया जाएगा और फिर इसके बाद तुर्की की सेना और कुर्द लड़ाकों के बीच भयानक जंग हो सकती है.

व्हाइट हाउस के मुताबिक यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोवान के बीच फोन पर हुई बातचीत के बाद लिया गया है.

ट्रंप ने अपने चुनावी वादे में विदेशों में तैनात सेना की वापसी की बात कही थी. जाहिर है कि वे इसे पूरा करना चाहते हैं लेकिन सीरिया, इराक और अफगानिस्तान से सेना की तुरंत वापसी से अमेरिकी अधिकारियों और सहयोगियों को चिंता हो रही है. इससे इन इलाकों में सुरक्षा के लिहाज से खालीपन पैदा होगा जिसका फायदा अवांछित तरीके से उठाया जा सकता है.

ट्रंप के इस कार्यकाल में अब कम समय बचा है और उन पर महाभियोग चलाने जैसी खबरें भी आ रही हैं. ऐसे में वे अपने बचे कार्यकाल का इस्तेमाल अपने राजनीतिक वादों को पूरा करने में कर रहे हैं. इसके लिए विदेशों में अमेरिकी सहयोगियों को चिंता में डालने की भी परवाह उन्हें नहीं है.

संसद में कई प्रमुख रिपब्लिकन नेता भी इस फैसले से हैरान हैं. हाउस में अल्पसंख्यक नेता केविन मैकार्थी ने सोमवार को कहा कि इस बारे में ट्रंप से उनकी बात नहीं हुई है और उन्हें चिंता हो रही है.

उन्होंने कहा, “मैं भरोसा चाहता हूं कि जिन लोगों के साथ हम लड़ रहे हैं और जो हमारी मदद कर रहे हैं, उन्हें दी गई जुबान पर हम कायम रहेंगे. अगर आप प्रतिबद्धता दिखाते हैं और कोई आपके साथ लड़ रहा है तो अमेरिका को अपनी बात पर डटे रहना चाहिए.”

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी