अमेरिका: ट्रम्प के खिलाफ़ महाभियोग पर सुनवाई होगी!

, , ,

   

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ सीनेट में मंगलवार से महाभियोग चलाने के लिए ट्रायल शुरू होगा। कार्यवाही भारतीय समयानुसार देर रात 11:30 बजे से शुरू हो जाएगी।

भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, अमेरिकी लोकतंत्र के 231 साल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी राष्ट्रपति को दूसरी बार महाभियोग का सामना करना पड़ रहा है।

वहीं, व्हाइट हाउस से विदा होने के बाद महाभियोग की कार्यवाही का सामना करने वाले ट्रम्प ऐसे पहले पूर्व राष्ट्रपति हैं।

महाभियोग पर सुनवाई के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी को सीनेट में दो तिहाई मतों की जरूरत होगी।

वर्तमान में सौ सीटों वाली सीनेट में डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों दलों के 50-50 सदस्य हैं। दो तिहाई बहुमत के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी को रिपब्लिकन पार्टी के कम से कम 17 सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी।


अमेरिका में वोटिंग (3 नवंबर) के 64 दिन बाद संसद जो बाइडेन की जीत पर मुहर लगाने जुटी, तो अमेरिकी लोकतंत्र शर्मसार हो गया।

ट्रम्प के समर्थक दंगाइयों में तब्दील हो गए। अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में तोड़फोड़ और हिंसा की। कैपिटल हिल बिल्डिंग में अमेरिकी संसद के दोनों सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट हैं।

ट्रम्प समर्थकों के हंगामे के चलते कुछ वक्त तक संसद की कार्यवाही रोकनी पड़ी थी। इस दौरान हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी।


यूएस कैपिटल हिस्टोरिकल सोसाइटी के डायरेक्टर सैम्युअल हॉलिडे ने CNN को बताया था कि 24 अगस्त 1814 को ब्रिटेन ने अमेरिका पर हमला कर दिया था।

अमेरिकी सेना की हार के बाद ब्रिटिश सैनिकों ने यूएस कैपिटल में आग लगा दी थी। तब से अब तक पिछले 206 साल में अमेरिकी संसद पर ऐसा हमला नहीं हुआ।


कानूनविदों और विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह ट्रायल ट्रम्प के पिछले वर्ष की तुलना में कम समय का होगा, जो लगभग तीन सप्ताह तक चला था।

सीनेटरों को मामले के बारे में कई चीजें पहले से पता हैं, जो इस विद्रोह के दौरान कैपिटल हिल में हुई थीं। इसके वीडियो और फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। इससे ट्रायल तेजी से हो सकेगा।


ट्रम्प के खिलाफ पिछले साल भी महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। संसद का निचला सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (HOR) में डेमोक्रेट्स के बहुमत के चलते यह पास हो गया था, लेकिन सीनेट में रिपब्लिकंस की मेजॉरिटी के चलते प्रस्ताव गिर गया।

ट्रम्प पर आरोप था कि उन्होंने बाइडेन के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला था। निजी और सियासी फायदे के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए 2020 के राष्‍ट्रपति चुनाव में अपने पक्ष में यूक्रेन से मदद मांगी थी।