डॉ उदित राज का लेख- ‘आखिर हिन्दू “बेचारे” कैसे हो गए?’

   

नागरिकता संशोधन कानून कि वैधता के लिए संघ और भाजपा गला फाड़ फाड़ कर कह रहे हैं कि हिन्दुओं का दुनिया में एकमात्र देश है क्या वह भी हिन्दू राष्ट्र न हो.

क्या हिन्दुओं का इतना अधिकार भी न हो कि किस धर्म के लोग आयेंगे और जायेंगे ? संसद ने जो कानून पास किया उसमे पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान से हिन्दू, शिख , बौध इसाई अगर प्रताड़ित हैं , भारत में आकर के नागरिक बन सकते हैं.

BJP MP Udit Raj tweeted that Dalits are being tortured after Bharat Bandh

इसके विरुद्ध में जब पूरे देश में विरोध खड़ा हुआ है तो यह कहते घूम रहे हैं कि मुसलमानों के पचास देश, ईसाईयों के सैकड़ों देश हैं तो एक देश हिन्दू रहने के लिए छोड़ दिया जाय तो कौन सी आपत्ति होगी ?हिन्दू धर्म को खतरा कभी भी बाहर से नहीं रहा है और न है.

Udit Raj addresses media at Congress HQ on JNU Violence

अगर , हिन्दू धर्म कमजोर हुआ तो स्वयम के कारणों कि वजह से हुआ है. कभी पूरा कम्बोडिया हिन्दू धर्म हुआ करता था लेकिन वहां एक भी हिन्दू नहीं रह गया है.

 

इस्लाम , जो आज अरबिक देश हैं यहाँ भी कभी हिन्दू धर्म का अस्तित्व हुआ करता था . क्या कारण है कि यह लुप्त होता जा रहा है. संघी भाई कहते थकते नहीं कि सनातन हिन्दू धर्म ही है जो कभी मिटा नहीं और न मिटेगा.

 

शायद ऐसा इसलिए कहते हैं कि लोगों में आस्था बनी रहे और इधर उधर ना भागें. इस्लाम 614 ई में पैदा हुआ और इसाइयत कि शुरुआत सब जानते ही हैं .अब इनको कौन समझाए कि ये धर्म दुनिया पर राज कर रहे हैं. और बौद्ध धर्म का भी फैलाव दुनिया में कम नही है.

BJP wants ‘deaf and dumb’ Dalit leaders: Udit Raj expresses disappointment over ticket snub

डॉ अम्बेडकर का मानना है कि कि हिन्दू धर्म , धर्म न होकर के एक राजनैतिक योजना है जो सवर्णों द्वारा बहुजनो पर शासन के दांव पेंच से शासन करता है. १९४० में उन्होंने कहा था कि “अगर हिन्दू राष्ट्र बन जाता है तो बेशक इस देश के लिए एक भारी खतरा उत्पन्न हो जायेगा .

 

हिन्दू कुछ भी कहें, पर हिंदुत्व स्वतंत्रता , बराबरी और भाईचारे के लिए ख़तरा है. इस आधार पर लोकतंत्र के अनुपयुक्त है . हिन्दू राज को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए. “ आज से लगभग सैंतीस वर्ष पहले जिस खतरे का डॉ अम्बेडकर का अनुमान था वो आज भारत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है.

 

डॉ अम्बेडकर ने यह भी कहा था कि “मेरे लोग अगर कुछ न कर सकें तो संविधान को जरूर बचाकर रखें , उन्होंने कहा कि “जबतक संविधान जीवित है तबतक मैं जीवित हूँ. मुझे जिन्दा देखना है तो संविधान को मरने मत देना .

इससे बहुजनो के ऊपर और विशेष रूप से दलित के लिए कितनी चुनौती कड़ी हो जाति है वे अपने प्राणों कि कीमत पर संविधान को बचाए रखें . यह तो बहुत कम होगा कि चाहें मत्री हो, सांसद हों या विधायक , संविधान बचाने के लिए अगर त्याग दे दे. जो संगठन में हैं उन्हें तत्काल सदस्यता से मुक्त हो जाना चाहिए .

हिन्दू धर्म कि एक सबसे बड़ी कमी ये है कि उसमे व्यक्तिगत स्वार्थपरता कि प्रधानता है. ऊपर से देखने से प्रतीत होता है कि त्याग और बलिदान से भरा हुआ है लेकिन ऐसा कुछ व्यवहार में नही है. कोई भले ही हिमालय कि कंदराओं में वर्षों तपस्या करे , उसे त्याग घोषित करे और चमत्कार कहे और पूरा समाज उसके त्याग और महानता का गुणगान गाये .

यह मूर्ख बनना के अलावा कुछ नहीं है. उसके त्याग तपस्या से ना तो किसान कि जिंदगी में कोई बदलाव आने वाला है ना ही दलितों कि सामाजिक परिस्थिति में परिवर्तन और न बेरोजगारों को रोजगार मिलने कि संभावना है.

अगर वो त्याग तपस्या कर रहा है स्वयम के स्वार्थ में ताकि स्वर्ग में स्थान मिल सके . पूरे धार्मिक कथा एवं पुस्तकों में भरा पड़ा हुआ है कि अमुक ऋषि कहीं पहुचते हैं और उनका स्वागत अच्छे भोजन और साज सज्जा के साथ नहीं होता तो श्राप दे देते हैं या नाराज़ हो जाते हैं. कहीं भी , इनकी तपस्या, त्याग, यग्य एवं कर्मकांड इसके लिए नहीं देखे जाते कि इससे स्त्रियों, दलितों, पिछड़ों को भागीदारी और सम्मान मिले .

Dalits who were part of SC/ST Act agitation are being targeted, tortured: BJP MP Udit Raj

देश के संशाधनो में इनकी हिस्सेदारी हो. ऐसे में बहुजन समाज हिन्दू धर्म को छोड़ेगा या मजबूती देगा ? बाबा साहब डॉ अम्बेडकर कि अंतिम इच्छा थी कि दलित –पिछड़े हिन्दू धर्म छोड़ दे और लाखों अनुआइयोन के साथ जाति से मुक्त भी हो गए .

यह सर्व विदित है कि वो अक्सर कहते थे कि “हिन्दू धर्म में पैदा होना मेरे वश में नहीं था पर मैं हिन्दू मरूँगा नही ये मेरे वश में है” ये भी कहा जा सकता है कि वर्तमान में भी छुआछूत व्याप्त है , दलितों का रास्ता रोकना , घोड़ी न चढ़ने देना और बात बेबात दलितों कि पिटाई करना यह साबित करता है कि स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नही हो पाया है.

अगर ये सब हिन्दू हैं तो रोटी –बेटी और व्यापार का रिश्ता मुसलमान और ईसाईयों कि तरह क्यों नही कर पाते ? अभी भी ये लोग सुधरने के लिए तैयार नहीं हैं. एकमात्र भागीदारी और मान –सम्मान का सहारा शिक्षा और नौकरी में आरक्षण था वह भी ख़तम कर दिया जा रहा है. क्या इसके लिए मुसलमान जिम्मेदार हैं?

नागरिकता संशोधन कानून हिन्दू धर्म को मजबूत नहीं बल्कि कमजोर करेगा . बांग्लादेश ने भी धमकी डी है कि हमारे यहाँ दस लाख हिन्दू हैं, हम कारवाई करेंगे .

 

मलेशिया के प्रधानमंत्री ने भी धमकी दिया है कि उनके मुस्लिम देश में बड़ी संख्या में हिन्दू रह रहे हैं, उनके खिलाफ भी कारवाई कि जा सकती है. देर सवेर अमेरिका और यूरोप से भी इस तरह कि बात उठ सकती है. अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भी इस कानून का भरी विरोध हो रहा है कि कोई बभी जनतांत्रिक देश इस तरह नहीं कर सकता है .

 

पाकिस्तान या कोई अरबी देश इस तरह कि हरकत करे तो बात समझ में आती है. इससे एक खतरा और पैदा हो सकता है कि जो आतंकवादी हैं उन्हें अन्य लोगों को प्रेरित करने में बल मिलेगा कि किस तरह से मुसलमानों के साथ दोयम दर्जे का नागरिक मानते हुए वर्ताव किया जा रहा है. बेहतर होगा कि हिन्दू धर्म में बड़ा सुधार हो ताकि जो भी है वो बचा रहे .

दलित –पिछड़े अगर हिन्दू हैं तो क्यों उनके साथ में अमानवीय व्यवहार होता है ? इनकी ज्यादातर सभाओं में हिन्दू और हिन्दुस्तान शब्दावली का इस्तेमाल न होक भारत या इण्डिया होता तो समझदार को इशारा बहुत है.

लेखक-  डॉ उदित राज (पूर्व लोकसभा सदस्य)