बात बात पर मुसलमानों से कहा जा रहा है कि पाकिस्तान चले जाएँ . मेरठ के पुलिस अधिकारी ने कहा कि वो पाकिस्तान चले जाएँ. भले ही अपने दूषित मानसिकता को छुपाने कि कोशिश किया कि वो लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे .
लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं दिख रहा है. बहस इतनी ज्यादा बढती जा रही है कि कहीं उनको लेने का देने न पड़ जाय. जो आज मुसलमानों को विदेशी बताते फिर रहे हैं. फिर यह प्रश्न पैदा होता है कि जो पहले आया वो पहले जाएगा.
यह सर्वविदित है कि कि भारत भूमि पर अफ़्रीकी, यूरोपिय और मंगोलायिड लोग समय समय पर आते रहे हैं और बस गये . हाल में एक वायरल वीडियो में दिखा कि जिसमे एक सज्जन कहते हुए नज़र आ रहे है कि हम ब्राह्मण जर्मनी से आये हैं.
वो सज्जन पढ़े लिखे नज़र आये और यह भी कह रहे हैं कि मोहन भागवत चित्पावन ब्राह्मण हैं. चित्पावन ब्राह्मण मूल रूप से इजराईल से आये थे अर्थात इनकी नसल यहूदी है.
https://youtu.be/Il5qY0b65jk
राखीगढ़ी में हाल में उत्खनन हुआ और यह बड़े स्तर पर कि योजना थी . मिले हुए अवशेषों का पूरा वैज्ञानिक विश्लेषण हुआ तो पता चला कि वो सिंधु घाटी की सभ्यता से जुडा है.
"When the first European travellers like Pietro Della Valle and Abraham Rogerius came to India, their accounts drew similarities between India and Israel with respect to these diverse functional groups. Brahmans became the Levites of India." https://t.co/bgUxz6CZPX
— Pragyata (@Pragyata_) May 30, 2019
सत्ता का दवाब पुरातत्वविद पर पूरा था और उनसे कहलवाने कि कोशिश कि गयी कि इनका डी एन ए सवर्णों से मिलता है. इसके पीछे का मकसद यह है कि किसी तरह से हड़प्पा सभ्यता को सनातनी हिन्दू से जोड़ दिया जाय. लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है.
दुनिया के 92 बानवे वैज्ञानिक जो हार्वर्ड , एम आई टी , रसियन अकेडमी ऑफ़ साइंसेस और भारत की तमाम संस्थाएं से जुड़े , 612 लोगों का अध्ययन किया , लोगों का अध्ययन इस्टर्न इरान , उज्बेकिस्तान , तजाकिस्तान , कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान आदि से लिए गए और अध्ययन में पाया कि आर्य उत्तरी भारत में आये.
हिटलर के नाजियों कि सोच भी यही थी कि आर्य भारत में बाहर से आये . हड़प्पा के लोगों में स्टेपे डी एन ए नहीं है, हलाकि , हाल में राखीगढ़ी के उत्खनन और डी एन ए विश्लेषण में कोशिश कि गयी कि आर्यों को मूलनिवासी घोषित किया जाय .
https://youtu.be/EPBzp-t8D00
ऐसा कुछ कहलवाया भी गया , लेकिन दुनिया के नामचीन वैज्ञानिक जैसे डेविड रायिक आदि कि चुनौती के सामने ऐसा साक्ष्य प्रस्तुत नही कर पाए. ऋग्वेद में जो परंपरा एवं प्रकार बलि और कर्मकांड का दीखता है, उसका मेल पूर्वी यूरोप से , जिसमे रशिया को भी शामिल किया जाता है, मेल खता है.
रामपुर मे करीब 8000 हिंदू शरणार्थी रहते हैं, जो कभी "हिंदु"स्तान को अपना समझकर आये।
पूर्वी पाकिस्तान से आये इन "दलित हिंदुओं"के पास राशन ,आधार और वोटर कार्ड तो है पर आरक्षण नहीं मिलता।
सरकार स्पष्ट करे बाहर से आये दलित आरक्षण के दायरे में आयेंगे या नहीं?
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) January 17, 2020
डेविड रायिक कहते हैं – “राजनीटिक कारणों से डी एन ए के अध्ययन के लिए सामग्री आराम से उपलब्ध नहीं हो पति है. यहाँ के लोग मरे हुए पूर्वजों के प्रति बहुत भावुक हैं, जबकि यूरोप और यहाँ तक कि पाकिस्तान के लोग भी इस तरह का व्यवाहर नहीं करते . इसके पीछे संघ एक कारण के रूप में दीखता है. . विनायक सावरकर और गोलवलकर भी यही कहते थे कि हम यहाँ के ही हैं, बाहर से नहीं आये हैं. डी एन ए के अलावा भाषाई एवं अन्य सांस्कृतिक प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि आर्य बाहर से आये .
सरकार परस्त मिडिया को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा है CAA/NRC की लडाई अब जनांदोलन का रूप ले रही है.
शाहीनबाग़ से शुरू होकर इलाहबाद,नवादा और गया तक फ़ैल गया.
सरकारी भोम्पुओं की यह अफवाह भी जनता ने नकार दिया की यह सिर्फ मुसलमान के खिलाफ है , क्यूंकि अब आमजन इस लडाई से जुड़ रहा है।— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) January 16, 2020
संघ के ऐसे प्रयास समय समय पर चलते रहते हैं .सरस्वती नदी यहाँ से कभी निकली थी जिसे हिन्दू सभ्य्यता से जोड़ने का पूरा प्रयास किया जाता रहा है. कुछ समय पूर्व बाल गंगाधर तिलक अपनी किताब “आर्कटिक होम्स इन द वेदाज” में भी सवर्णों के बाहर से आने कि पुष्टि करते हैं. तिलक लिखते हैं कि – “ उत्तरी ध्रुव आर्यन का मूल स्थान या निवास हुआ करता था , लेकिन वहां ज्यादा ठंढ होने कि वजह से 8000 बीसी के लगभग यूरोप और एशिया में बसने आये .
डॉ अम्बेडकर का मानना है कि कि हिन्दू धर्म , धर्म न होकर के एक राजनैतिक योजना है जो सवर्णों द्वारा बहुजनो पर शासन के दांव पेंच से शासन करता है.
1940 में उन्होंने कहा था कि “अगर हिन्दू राष्ट्र बन जाता है तो बेशक इस देश के लिए एक भारी खतरा उत्पन्न हो जायेगा.https://t.co/pdSolMst5K— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) January 16, 2020
उस समय उत्तरी ध्रुव पर बर्फ से ढंका होने कि वजह से रहने योग्य भूमि का भी अभाव था और वर्तमान भारत के उत्तरी छोर कि जमीन उस समय लगभग खाली थी , ये लोग यहाँ आकर बस गए”. तिलक वेद के मन्त्र और कैलेण्डर के गहन अध्ययन और शोध के उपरान्त इस निष्कर्ष पर पहुचे थे.
https://twitter.com/DConquered/status/1218004702543020032?s=19
राहुल सांकृत्यायन ने अपने प्रसिद्द उपन्यास गंगा से वोल्गा में भी विस्तार से चित्रित किया है किस तरह से आर्य विशेष रूप से गंगा के पठारी एरिया में आये. नेहरु ने अपनी प्रसिद्द किताब डिस्कवरी ऑफ़ इण्डिया में भी इस बात कि पुष्टि कि है कि आर्यन बाहर से आकर भारत में बसे.
BJP/RSS पढ़े-लिखे समाज में नहीं टिक सकता।BJPनेCAAके पक्ष में कोझीकोड, केरल में सभा करना चाहा।सभा में आने की बात तो दूर पूरा टाउन ही बन्द हो गया। यही स्थिति दूसरे शहर नारीकुण्णी में रही।
उत्तर भारतीयों को सीखना चाहिये कि RSS अनपढ़ एवम अंधविश्वासी समाज में अस्तित्व बना सकता है। pic.twitter.com/cu6cTKFhIX— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) January 16, 2020
जो लोग आज बात बात पर मुसलमानों को पाकिस्तान भेजने कि बात करते हैं पहले अपनी अनुवांशिकी विरासत पुरखों का इतिहास जान समझ ले. किन कारणों से जो सनातनी धरम कम्बोडिया बाली सिंध , अरब और ईराक तक फैला था कैसे लुप्त हो गया .
कोई मुसलमान बन गया तो कोई बौद्ध . ऐसा क्यों हुआ ? इनकी वर्तमान सोच हमेशा से ऐसी ही रही है. जिसकी सत्ता होती है उसकी धर्म भी संस्कृति स्वाभाविक रूप से मजबूत होकर फैलती है .
जब मुस्लिम शासक यहाँ शासन कर रहे थे तो स्वाभाविक तौर पर कुछेक को जबरन मुसलमान बनाया गया होगा . ऐसा अपवाद ही होगा . जो बहुसंख्यक मुस्लिम बने उनमे से कुछ सत्ता के लोभ कि वजह से और शेष इस्लाम की खूबियों कि वजह से बने होंगे.
धीरे धीरे BJP/RSS का नक़ाब और साफ होने लगा है ।अब ईशा मसीह की कर्नाटक में लग रही मूर्ति का विरोध करने लगे हैं ।देखते जाईये अगर ये मजबूत बनते गए तो एक दिन सिखों का भी नंबर आएगा ।महिलाएं भी नही बचेंगी।
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) January 15, 2020
जब आज दलितों के साथ छूआछोत का वर्ताव है तो उस समय क्या रहा होगा .यह कल्पना करना बहुत मुश्किल नहीं है. कुछ ही साल पहले मुरैना कि घटना है कि दलित के हाथ से जब एक सवर्ण के कुत्ते ने रोटी खायी तो उस कुत्ते को सवर्ण मालिक ने घर से भगा दिया.
अगर आर्य बाहर से नहीं आये होते तो इतना निर्दयी व्यवहार बहुजनों के साथ न करते । कभी मूल निवासी अपने ही लोगों के साथ छुआछूत न करते। बेहतर होगा कि बात-बात पर मुसलमानों को पाकिस्तान जाने की बात न करें वर्ना एक दिन DNA आधारित नागरिकता की बात सच हो जाएगी।
लेखक: डॉ उदित राज, (पूर्व लोकसभा सदस्य)