भारत में आर्थिक मंदी का असर मजदूरों पर पड़ा, नहीं मिल रहा है काम!

   

भारत में आर्थिक मंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। उनकी आय काफी कम हो गई है।

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, इसका सीधा असर लोगों की खर्च करने की क्षमता पर पड़ा है। जानिए कैसी हो गई मजदूरों की जिंदगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में भारत की तेजी से गिरती अर्थव्यवस्था का प्रभाव आम लोगों के रोजगार पर पड़ रहा है। दिल्ली की सड़कों पर लगने वाले मजदूर बाजार में काम की तलाश में जा रहे लोग दिनों दिन और अधिक हताश हो रहे हैं।

इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई ज्यादा होने की वजह से बीते गुरुवार को ब्याज दरों में किसी तरह की कटौती करने से इनकार कर दिया। इससे पहले केंद्रीय बैंक इस साल ब्याज दरों में पांच बार कटौती कर चुकी है।

पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों में ‘लेबर चौक’ पर हर दिन सैकड़ों की संख्या में मजदूर काम की तलाश में आते हैं. उन्हें ये उम्मीद रहती है कि कोई आएगा और उन्हें काम करवाने के लिए ले जाएगा.

इन मजदूरों में कोई पेंटर होता है तो कोई इलेक्ट्रीशियन। कोई प्लंबर का काम करने वाला होता है तो कोई बढ़ई का काम करने वाला। इन दिनों इन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

पेंटिंग का काम करने वाले 55 वर्षीय तहसीन बीते तीन दशकों से यहां आ रहे हैं। लेकिन अब वे निराश हैं।

पिछले तीन साल में तहसीन की आय 25 हजार रुपये प्रति महीने से कम होकर 10 हजार हो गई है। हालांकि अभी भी उनकी कमाई हो रही है। भारत में बेरोजगारी दर करीब 8.5 प्रतिशत है। यह पिछले दो सालों में चार दशक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई है।

तहसीन कहते हैं कि सरकार ने टैक्स से बचने वाले ‘अनऑफिशियल इकोनॉमी’ को तहस-नहस कर दिया। इस वजह से ऐसी स्थिति उतपन्न हुई है। इस साल एक सरकारी सर्वे में अनुमान लगाया गया कि 90 प्रतिशत से ज्यादा कामगार ‘अनौपचारिक’ क्षेत्र में हैं।