लॉकडाउन के दौरान लोगों के पलायन पर अभिजीत बनर्जी ने दिया बड़ा बयान!

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शहर छोड़कर लोगों का अपने-अपने गांव की तरफ भागना जारी है। पूरे देश में अफरा-तफरी का माहौल देखा जा रहा है।

 

आज तक पर छपी खबर के अनुसार, इस पर नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी का कहना है कि लोगों (प्रवासी) में डर इसलिए बैठ गया है क्योंकि धरातल पर जो नियम हैं, वे स्पष्ट नहीं हैं।

 

अभिजीत बनर्जी ने यह बात ‘इंडिया टुडे’ के साथ एक खास बातचीत में कही। बनर्जी ने कहा, लोग गांवों की तरफ इसलिए भाग रहे हैं क्योंकि उनमें डर है और उन्हें यह पता नहीं चल रहा कि कोरोना वायरस की महामारी के बीच उन्हें कुछ मिलने की गारंटी है या नहीं।

 

 

उन्होंने कहा कि लोगों की गांव की ओर वापसी पर उन्हें जरा भी हैरत नहीं है क्योंकि गांव में उनके पास जिंदगी गुजारने के लिए कुछ साधन तो है।

 

नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी ने ‘इंडिया टुडे’ से कहा, आर्थिक दबाव (प्रवासियों पर) साफ हैै।  गांव-घर में जीने के लिए उनके पास थोड़ी जमीन और अन्य साधन तो होंगे।

 

इनमें से अधिकांश प्रवासी शहर से घर पैसे भी भेजते हैं. अब वे किस चीज के भरोसे रहेंगे। जिस कंस्ट्रक्शन साइट पर वे काम करते हैं, वहीं उन्हें रहने को मिल जाता है। अब ये साइट्स बंद हो गई हैं. ऐसे में वे कहां रहेंगे।

 

अभिजीत बनर्जी ने आगे कहा कि धरातल पर जो भी कानून हैं, वो स्पष्ट नहीं हैं जिससे प्रवासी लोगों में भय और डर का माहौल पैदा हुआ है।

 

यह बहुत अहम है कि केंद्र और राज्य सरकारें लोगों को संकेत दें कि काम-धंधा चौपट होने की सूरत में उनका ख्याल रखना सरकार की पूरी जिम्मेदारी है। बनर्जी ने कहा कि सरकार की तरफ से लोगों को जो निर्देश दिए गए, वे और भी स्पष्ट होने चाहिए थे।

 

पुलिस की भूमिका पर अभिजीत बनर्जी ने कहा, पुलिस को काफी स्पष्ट संदेश देना चाहिए जबकि घालमेल किए जा रहे हैं। दुकान खोलने पर पीटा जा रहा है जबकि लोगों को इस बारे में ठीक ढंग से समझाना चाहिए।

 

प्रधानमंत्री का भाषण इस दिशा में अच्छी कोशिश थी और काफी महत्वपूर्ण बात है कि उनका संदेश पुलिस तक भी गया होगा। मौजूदा वक्त आतंक फैलाने का नहीं है।

 

आपसी दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) के बारे में क्या गरीब लोगों को और ढंग से समझाना चाहिए? इसके बारे में अभिजीत बनर्जी ने कहा, ऐसा नहीं है कि लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं है कि अभी क्या चल रहा है।

 

उन्हें पता है कि लोगों के बीच बीमारी फैल रही है लेकिन इसका उपाय क्या है. मुझे लगता है कि सामान्य माहौल कुछ बिगड़ा है, जिससे उन्हें निपटने में दिक्कत आ रही है।

 

बनर्जी ने कहा, हम उन्हें (प्रवासी) दोषी नहीं ठहरा सकते। उन्हें किस बात की गारंटी मिलेगी, इसकी कोई जानकारी नहीं। ऐसे में जरूरी है कि पूरे संसाधन उस दिशा में लगाए जाएं।

 

मैं आश्वस्त हूं कि सभी होटल अभी खाली हैं, जिनमें उन्हें रखा जा सकता है। अभी ऐसा वक्त नहीं है कि प्राइवेट प्रॉपर्टी को इतनी ज्यादा तरजीह दी जाए। अभी जरूरी यह है कि जो भी सुविधा हमारे पास है, उसका भरपूर उपयोग किया जाए।