मिस्रे के ग्रांड मुफ़्ति और वरिष्ठ इमाम के इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है कि बहुविवाह महिलाओं के साथ अन्याय है।
मिस्र की अल-अज़हर मस्जिद और अल-अज़हर यूनिवर्सिटी के प्रमुख शेख़ अहमद अल-तैय्यब ने ट्वीटर और टीवी पर यह बयान दिया है।
मिस्र के ग्रांड मुफ़्ति का कहना है कि जो लोग क़ुरान नहीं समझते हैं, अगर वे बहुविवाह करते हैं तो वे महिलाओं के साथ अन्याय करते हैं।
#الإمام_الأكبر: لا أدعو إلى تشريعاتٍ تُلغي حقَّ التعدُّدِ بل أرفُضُ أيَّ تشريعٍ يَصدِمُ أو يَهدِمُ تشريعاتِ القرآنِ الكريمِ أو السُّنَّةِ المُطهَّرةِ
من كلمة فضيلة الإمام الأكبر أ.د أحمد #الطيب #شيخ_الأزهر أمام #مؤتمر_الإفتاء_العالمي في 17 أكتوبر 2016 pic.twitter.com/cIVhdlkPZ1— الأزهر الشريف (@AlAzhar) March 2, 2019
पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, मिस्र के प्रभावशाली इमाम ने फ़रवरी में ईसाईयों के वरिष्ठ धर्मगुरु पोप फ़्रांसिस से भी मुलाक़ात की थी। उन्होंने कहा, यह प्रथा क़ुरान और अंतिम ईश्वरीय दूत पैग़म्बरे इस्लाम की शिक्षाओं को सही से नहीं समझने का परिणाम है।
उन्होंने एक टेलिवीज़न कार्यक्रम में बोलते हुए कहा, जो लोग कहते हैं कि विवाह का अर्थ बहुविवाह है, तो वे ग़लत हैं। जो भी मुस्लिम पुरुष बहुविवाह करना चाहता है, उसे निष्पक्षता, पत्नी के अधिकार और न्याय से संबंधित कुछ शर्तों का पालन करना होगा। अगर वह व्यक्ति न्याय नहीं कर सकता है तो उसके लिए एक से अधिक विवाह करना हराम है।
उन्होंने कहा, महिलाएं आधे समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं, अगर हम उनकी देखभाल नहीं कर रहे हैं और उनके अधिकारों की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं, तो यह ऐसा ही जैसे कि हम सिर्फ़ एक टांग से चल रहे हैं।
सोशल मीडिया पर शेख़ तैय्यब के बयान का जहां विरोध हो रहा है, वहीं उन्हें इसके लिए भारी समर्थन भी मिल रहा है। अल-अज़हर यूनिवर्सिटी ने शेख़ तैय्यब के बयान के बाद एक स्पष्टीकरण जारी कर कहा है कि उन्होंने ग्रांड मुफ़्ति ने बहुविवाह को हराम क़रार नहीं दिया है, जैसा कि कुछ लोग दावा कर रहे हैं।