सोशल डिस्टेंसिंग के साथ केरल में मनाई गई ईद-उल-अजहा!

,

   

मुस्लिम समुदाय ने केरल में कोरोना महामारी संकट के बीच सरकार द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य के कठोर दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए शुक्रवार को बकरीद का जश्न साधारण रूप से मनाया है।

 

न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, दिशा-निर्देशों के अनुसार, बड़ी मस्जिदों में सौ लोगों को प्रवेश की परमिशन है, लेकिन सोशल डिस्टन्सिंग संबंधी रूल्स, फेस मास्क पहनने तथा सैनेटाइजर के उपयोग संबंधी कठोर स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य हो गया है। निषिद्ध इलाकों की मस्जिदों में लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं दी गई है।

 

कोरोना महामारी के वजह से इस वर्ष विशाल ईदगाहों में नमाज की परमिशन नहीं है। ईद के उत्सव के समय चहल-पहल से भरा रहने वाला कोझिकोड का प्रसिद्ध मिठाई मार्केट सुनसान पड़ा नजर आया. क्योंकि यह निषिद्ध इलाके में आता है।

 

ईद त्यौहार की मुबारकबाद देते हुए, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सभी केरलवासियों से बोला, “यह कामना है कि बकरीद का उत्सव जो सर्वशक्तिमान में शाश्वत विश्वास और बलिदान की महिमा का गुणगान करता है।

 

वह हम सभी को प्रेम, करुणा और परस्पर सहयोग के जरिए से, हमारे नियमित जीवन और कोरोना के विरुद्ध हमारी जंग में हमें एकजुट बनाए रखे। सीएम पिनराई विजयन ने भी इस अवसर पर लोगों को मुबारकबाद दी।

 

बता दें कि इस्लाम में बकरीद का विशेष महत्व होता है. इस्लामिक धर्म की मान्यता के मुताबिक हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान किया था।

 

तब खुदा ने उनके जज्बे को देखकर उनके बेटे को जीवन दान दिया था। इस उत्सव को हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाया जाता है। इसके बाद अल्लाह के हुक्म के साथ इंसानों की जगह जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू किया गया।