मानव सभ्यता की गंदगियों को सदियों से अपने में समेट रही मां गंगा को कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन ने ऑक्सीजन दे दी है।
पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, इसकी बानगी सिटी ऑफ जॉय यानी कोलकाता के गंगा घाटों पर डॉल्फिन की मस्ती के तौर पर देखने को मिली है। गंगा में पाई जाने वाली यह डॉल्फिन अपने किस्म की इकलौती ऐसी प्रजाति है जो मीठे पानी में पाई जाती है।
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Ganges River Dolphin, our National Aquatic Animal once lived in the Ganga-Brahmaputra-Meghna river system is now endangered. They live in fresh water and are practically blind, with small slits as eyes.
Was fortunate to spot these in Ganges in Meerut. pic.twitter.com/BKMj8LqaIi— Akash Deep Badhawan, IFS (@aakashbadhawan) April 27, 2020
ये करीब तीन दशक बाद कोलकाता लौटी हैं। इसकी वजह यह है कि गंगा के उद्गम गोमुख से सिंधु तट के संगम के बीच पडऩे वाले उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की राह में मां गंगा के किनारे सारे उद्योग धंधे बंद हैं और कल कारखानों की गंदगी नदी में नहीं बह रही है।
नदी के सतत प्रवाह के कारण गोमुख से निकलने वाला पानी सागर तक स्वच्छ हो गया है। इसकी वजह से डॉल्फिन अब कोलकाता में भी गंगा में अठखेलियां करती नजर आई हैं।
पिछले दो दिनों से कई लोगों ने इसकी तस्वीरें, वीडियो आदि सोशल साइट पर साझा की हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों ने भी इसकी पुष्टि की है कि हुगली नदी में अब कई जगह डॉल्फिन जल क्रीड़ा करती देखी जा सकती हैं।
वरिष्ठ पर्यावरणविद् विश्वजीत राय चौधरी ने बताया कि लॉकडाउन के कारण गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता में जबर्दस्त सुधार हुआ है। इसी वजह से डॉल्फिन यहां वापस लौटी हैं। उन्होंने बताया कि 30 सालों बाद ऐसा हुआ है।
आखिरी बार तीन दशक पहले इन्हें कोलकाता, हावड़ा और हुगली में गंगा घाटों पर देखा गया था। विश्वजीत राय चौधरी ने खुद भी डॉल्फिन को देखने का दावा किया। उन्होंने कहा कि कोलकाता महानगर के मशहूर बाबू घाट पर उन्होंने कुछ डॉल्फिन को खेलते हुए देखा।
उन्होंने कहा कि मुझे याद है करीब तीन दशक पहले कोलकाता में गंगा घाटों पर डॉल्फिन का जमघट रहता था लेकिन गंगा में प्रदूषण बढ़ता गया और डॉल्फिन ने कोलकाता से हरिद्वार की ओर रुख कर लिया था।
अब अगर यह वापस आई हैं तो इसका मतलब है कि पानी की गुणवत्ता में जबर्दस्त सुधार हुआ है।