एर्दोगन का सख्त फैसला, अमेरिकी सुरक्षा सलाहकार से मुलाकात करने से इंकार किया

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तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान ने सीरियाई कुर्दों के बारे में अमरीकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन के बयान को ख़ारिज करते हुए इसे अमरीकी विदेश नीति की घातक ग़लती बताया है। अर्दोगान का कहना था कि बोल्टन हमारे लिए जो संदेश इस्राईल से लाए हैं, उसे हम स्वीकार नहीं कर सकते और न ही उसे हम पचा पा रहे हैं।

तुर्क राष्ट्रपति बोल्टन से इतना अधिक नाराज़ थे कि अंकारा की यात्रा पहुंचने अमरीकी राष्ट्रीय सुलाहकार से उन्होंने मुलाक़ात करने तक से इनकार कर दिया। अंकारा में अमरीकी राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुलाहकार को जितना अपमान झेलना पड़ा है, उससे अमरीका और तुर्की के बीच संकट की भयावहता का पता चलता है।

इससे अमरीका के उस फ़ैसले पर भी सवालिया निशान लग गया है कि जिसमें कहा गया था कि ट्रम्प और अर्दोगान के बीच टेलीफ़ोन पर बातचीत के बाद अमरीकी राष्ट्रपति ने उत्तरी सीरिया से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा कर दी है और इलाक़े में शांति व्यवस्था की ज़िम्मेदारी तुर्की पर डाल दी है।

सूत्रों के अनुसार, बोल्टन ने अंकारा में अपने तुर्क समकक्ष इब्राहीम कालिन से कहा कि वाशिंगटन सीरिया में अपने कुर्द सहयोगियों पर तुर्की के किसी भी हमले का विरोध करता है और वह सीरिया के कुर्द इलाक़ों से अपने सैनिक उस वक़्त तक बाहर नहीं निकालेगा, जब तक तुर्की को अमरीका के इन सहयोगियों की सुरक्षा की गारंटी नहीं देगा।

तुर्क राष्ट्रपति अर्दोगान ने इन बयानों के कारण बोल्टन की कड़ी आलोचना की है, और इस बयान को ख़ारिज कर दिया है कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने सीरियन डेमोक्रेटिक फ़ोर्सेज़ के ख़िलाफ़ तुर्क सेना की कार्यवाही न करने का वादा लिया था। अर्दोगान का मानना है कि तुर्की कुर्द बलों को “आतंकवादी” समझता है, इसलिए आतंकवादियों को किसी भी तरह की रियायत देने के पक्ष में नहीं है।

तुर्क नेता ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उनकी सेना सीरिया के भीतर दाइश आतंकवादियों और कुर्द बलों के ख़िलाफ़ कार्यवाही की पूरी तैयारी कर चुकी है। वास्तव में बोल्टन ने सीरिया से अमरीकी सैनिकों को बाहर निकलाने की जो शर्तें अब बयान की हैं, वह ट्रम्प की उस घोषणा के विपरीत हैं जिसमें उन्होंने बिना किसी शर्त के सीरिया से सैनिक बाहर निकालने की बात कही थी।

कहा यह जा रहा है कि बोल्टन क्योंकि तुर्की से पहले इस्राईल की यात्रा पर गए थे और इस्राईली प्रधान मंत्री इलाक़े में तुर्की के बढ़ते प्रभाव को कम करना चाहते हैं, इसीलिए उन्होंने बोल्टन को इस तरह की शर्तें रखने के लिए तैयार किया है।

यहां सवाल यह पैदा होता है कि तुर्क राष्ट्रपति का अब अगला क़दम क्या होगा? क्या वे अपनी धमकियों को व्यवहारिक बनायेंगे और सीरिया में कुर्दों पर बम बरसाएंगे? अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें कौन रोकेगा?

साभार- ‘parstoday.com’