तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प से कहा था कि इस ऑप्रेशन में या तो अमरीका तुर्की के साथ सहयोग करे या वह रास्ते से हट जाए।
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व्हाइट हाउस ने पूर्वोत्तर सीरिया से अपने सैनिकों को निकालने और तुर्की के सैन्य ऑप्रेशन का समर्थन करके अपनी विदेश नीति में बड़े परिवर्तन का संकेत दिया है। सूत्रों के अनुसार, तुर्क राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोगान ने अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प से कहा था कि इस ऑप्रेशन में या तो अमरीका तुर्की के साथ सहयोग करे या वह रास्ते से हट जाए।
अंकारा के अधिकारियों का कहना है कि अर्दोगान से टेलीफ़ोन पर बातचीत के बाद ट्रम्प ने दूसरा विकल्प चुनने का फ़ैसला किया।
ग़ौरतलब है कि तुर्की काफ़ी समय से सीरिया से लगी अपनी सीमा पर बफ़र ज़ोन बनाने का प्रयास कर रहा था, ताकि अमरीका समर्थित कुर्द सशस्त्र गुटों को अपनी सीमा से कम से कम 32 किलोमीटर दूर तक धकेल दे।
Here is what happened this morning in Syria: US forces received an urgent, unexpected alert: “We're departing the field.” Then at 3 a.m., the head of the Syrian Democratic Forces received a call that Trump had ordered U.S. troops to withdraw. https://t.co/jha8PlqkLZ
— Dafna Linzer (@DafnaLinzer) October 8, 2019
पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, तुर्की पर्वोत्तर सीरिया में कुर्द सशस्त्र गुट वाईपीजी का सफ़ाया करना चाहता है, जो पीकेके की सशस्त्र शाख़ा है, जिसे तुर्की आतंकवादी गुट क़रार देता है। हालांकि कुर्द सशस्त्र गुटों का हमेशा से अमरीका का समर्थन प्राप्त रहा है।
New report suggests horrifying reason for Kurd betrayal https://t.co/vQfXyKpet4
— Raw Story (@RawStory) October 8, 2019
पूर्वोत्तर सीरिया में कुर्दों का मुद्दा अंकारा और वाशिंगटन के बीच तनाव का एक प्रमुख मुद्दा बन गया था और अर्दोगान ने आख़िरी बार ट्रम्प से संपर्क करके उन्हें अपने इरादों से अवगत करा दिया।
Two days later, the White House confirms Trump has agreed to host Turkey's Erdogan. Meeting will be Nov. 13. https://t.co/37kiTrLmXV
— Jennifer Jacobs (@JenniferJJacobs) October 8, 2019
तुर्क राष्ट्रपति ने ट्रम्प से कहा, दाइश की पराजय के बाद भी पेंटागन ट्रकों में हथियार लादकर वाईपीजी के लिए भेज रहा है और अंकारा के लिए यह स्वीकार्य नहीं है।
पूर्वोत्तर सीरिया में कुर्द लड़ाकों के ख़िलाफ़ ट्रम्प तुर्की के सैन्य अभियान में सहयोग करने में आनाकानी कर रहे थे, लेकिन अर्दोगान के साथ हालिया बातचीत में उन्होंने इसका विरोध करने के बजाए उनसे पूछा कि क्या वे कुर्दों की हिरासत में मौजूद दाइश के विदेशी लड़ाकों का कुछ कर सकते हैं, क्योंकि उनके मूल देश उन्हें स्वीकार नहीं कर रहे हैं या उन पर मुक़दमा चलाने की तैयारी कर रहे हैं।
अर्दोगान का कहना था कि पिछले कुछ वर्षों में तुर्की ने दाइश के 6,000 आतंकवादियों को उनके मूल देशों में वापस भेजा है और कुर्दों की जेलों में बंद बाक़ी आतंकवादियों का वे कोई समाधान निकाल लेंगे।
उसके बाद अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने ट्वीट करके अर्दोगान को धमकी दी कि अगर तुर्की ने इस ऑप्रेशन में कुछ भी ऐसा किया, जिस पर दोनों नेताओं के बीच सहमति नहीं बनी है तो वह तुर्की की अर्थव्यवस्था को पूर्ण रूप से नष्ट कर देंगे।
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रम्प अकसर बंद दरवाज़ों के पीछे होने वाली सहमति के विपरीत ट्वीटर पर बयानबाज़ी करते हैं, ताकि अपने फ़ैसलों और अपने सहयोगियों की नाराज़गी के बीच एक संतुलन स्थापित कर सकें।
यहां एक दूसरा अहम बिंदू यह भी है कि अमरीकी राष्ट्रपति को आज भी दाइश के आतंकवादियों की उतनी ही चिंता है, जितनी सीरिया संकट के शुरू होने के वक़्त ओबामा प्रशासन को थी।
ग़ौरतलब है कि सीरियाई सरकार के पतन के लिए अमरीका, इस्राईल और उनके सहयोगियों ने दाइश को जन्म दिया था, जिसमें तुर्की ने भी उनका भरपूर साथ दिया था, लेकिन दाइश और अन्य आतंकवादी गुटों की पराजय के बाद अब इन देशों को बचेखुचे आतंकवादियों को ठिकाने लगाने का का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा है।