कृषि कानूनों कोई धार्मिक शास्त्र नहीं है, जिनको बदला न जा सके- फारुक अब्दुल्लाह

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लोकसभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन का पूरे देश में बांटा जाना नितांत आवश्यक है।

पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि अभी बहुत कम लोगों को वैक्सीन मिल पा रही है। इसलिए सरकार को देश में ज्यादा से ज्यादा लोगों के लिए वैक्सीन की उपलब्धता के लिए प्रयास करने चाहिए ताकि लोग इस खतरनाक बीमारी से बच सकें।

फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि कोरोना वायरस मरीजों की संख्या में हम अमरीका ओर ब्रिटेन से जरूर पीछे हैं, लेकिन हमारे यहां अभी भी कोरोना से मौत के मामले सामने आ रहे हैं।

फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि अभी हमारे देश में चिकित्सा की बुनियादी सेवाएं उस स्तर की नहीं है, जिनसे ग्रामीण इलाकों में लोगों की कोरोना से रक्षा की जा सके।

इस दौरान उन्होंने ने कोरोना वैक्सीन के लिए उत्पादन के लिए पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को बधाई दी। इस दौरान उन्होंने कोरोना वायरस के चलते लागू किए गए लॉकडाउन के दौरान होने वाले नुकसान की भरपाई की दिशा में काम किए जाने की बात पर भी जोर दिया।

फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि देश में लंबे समय तक रहे लॉकडाउन की वजह से पर्यटन क्षेत्र, उद्योग और दुकानदारों को भारी परेशानी और घाटा उठाना पड़ा है।

जम्मू-कश्मीर समेत समूचे देश में गरीबी की मार से लोग जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों से 50 हजार नौकरियों देने का वायदा किया गया था, लेकिन एक भी नौकरी नहीं मिल पाई।

फारुख अब्दुल्ला ने कृषि कानूनों पर बोलते हुए कहा कि ये कोई धार्मिक शास्त्र नहीं है, जिनको बदला न जा सका। अगर देश के किसान कृषि कानूनों को वापस कराना चाहते हैं, तो आप क्यों उनसे बात नहीं कर सकते।

मैं अपन करता हूं कि इसको प्रतिष्ठा का सवाल न बनाया जाए। यह हमारा राष्ट्र है और सब इससे जुड़े हैं। इस देश में सभी को सम्मान के साथ रहने का अधिकार है।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मुझे बहुत खराब लगता है कि जब जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अन्य नेताओं पर उंगली उठाई जाती है।

जब कल आप पावर में नहीं रहोगे तब हम इस प्रधानमंत्री के बारे में बात करें। यह एक गलत परंपरा है। जो जा चुका है, हमें उसका सम्मान करना चाहिए।