लाल किले के अंदर दाखिल हुए किसान!

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हर साल 15 अगस्त को जिस लाल किले पर आजादी का जश्न होता है, इस साल 26 जनवरी को वहां किसान काबिज हो गए।

भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, दिल्ली में दाखिल हुए किसानों का बड़ा जत्था मंगलवार दोपहर करीब 2 बजे लालकिले पर पहुंच गया।

हल्ला-गुल्ला, हंगामे और भारी गहमागहमी के बीच एक युवक दौड़ता हुआ आगे बढ़ा और उस पोल पर चढ़ कर खालसा पंथ और किसान संगठन का झंडा बांध आया, जहां प्रधानमंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस के दिन झंडा फहराते रहे हैं।

किसानों का जो रूट पुलिस ने तय किया था, उसमें लाल किला कहीं नहीं आता। सिंघु बॉर्डर से जो किसान दिल्ली में दाखिल हुए, वही रूट तोड़कर लाल किले की ओर बढ़ गए।

संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से उन्हें आउटर प्वाइंट की तरफ जाना था, लेकिन उधर ना जाकर वो लाल किले की तरफ मुड़ गए।

मुबारका चौक पर कुछ किसानों को पुलिस ने रोका भी, लेकिन हाथापाई के बाद पुलिस हट गई और वहां हजारों किसान जमा हो गए। इसके बाद ये सभी लाल किले में दाखिल हुए। लाल किले के बाहर किसानों ने अपने ट्रैक्टर खड़े कर दिए।

लाल किले पर पुलिस प्रदर्शनकारियों को समझाती रही कि तिरंगा उतारकर अपने झंडे लगाना ठीक नहीं है, लेकिन वो नहीं माने।

इस दौरान तिरंगे, किसान संगठनों के झंडों के अलावा वाम दलों का झंडा भी नजर आया।

इस हिंसक और उग्र आंदोलन पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि हम जानते हैं कि कौन परेशानी खड़ी करने की कोशिश कर रहा है। ये उन राजनीतिक दलों के लोग हैं, जो आंदोलन को बदनाम करना चाहते हैं।