FIR में उर्दू और फारसी के बजाय आम भाषा का प्रयोग करे दिल्ली पुलिस- कोर्ट

,

   

दिल्ली पुलिस एफआईआर दर्ज करने में उर्दू और फारसी शब्दों का प्रयोग क्यों करती है, जब शिकायतकर्ता आम भाषा में अपनी शिकायत देता है। पुलिस को एफआईआर दर्ज करने में साधारण भाषा का प्रयोग करना चाहिए ताकि एक आम आदमी भी उसे पढ़कर समझ सके। इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की।

अदालत ने मामले की सत्यता की जांच के लिए एफआईआर की 100 प्रतियां पेश करने का आदेश दिल्ली पुलिस को दिया है। इस मामले में अगली तारीख 11 दिसंबर 2019 को होगी।

मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की खंडपीठ ने कहा कि दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने में उर्दू और फारसी के उन शब्दों का उपयोग बंद करना चाहिए जो बिना सोचे समझे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। एफआईआर दर्ज करने में साधारण भाषा का ही प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि शिकायतकर्ता उसे समझ सके कि उसने जो शिकायत दी वह वैसी ही दर्ज हुई।
दिल्ली पुलिस ने खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि 20 नवंबर को सभी पुलिस थानों को सर्कुलर जारी कर कहा गया है कि एफआईआर लिखने में उर्दू और फारसी के 383 शब्दों की जगह साधारण शब्दों का प्रयोग किया जाए। दिल्ली पुलिस की इस दलील के बाद पीठ ने उक्त आदेश दिया कि एफआईआर की भाषा साधारण होनी चाहिए या शिकायतकर्ता की भाषा में इसे दर्ज किया जाना चाहिए।

पीठ ने दिल्ली पुलिस सर्कुलर के लागू होने की सत्यता परखने के लिए 10 थानों में दर्ज की गईं 10-10 एफआईआर की प्रतियां पेश करने आदेश दिया ताकि यह पता लग सके कि दिल्ली पुलिस के सर्कुलर का पालन किया जा रहा है या नहीं।
पेश याचिका दायर कर वकील विशालक्षी गोयल ने हाईकोर्ट से अपील की थी कि दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज करने में उर्दू और फारसी शब्दों का प्रयोग करने से रोका जाए क्योंकि यह आम लोगों को समझ नहीं आते।