21 जून को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। इसे लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है कि यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, यह साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा। इसे रिंग्स ऑफ फायर ग्रहण के नाम से भी जाना जाता है। यह रविवार को दिखाई देगा। साल का पहला सूर्य ग्रहण ग्रीष्म संक्रांति में लग रहा है, जो उत्तरी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन है।
मंत्रालय ने कहा कि अनूपगढ़, सूरतगढ़, सिरसा, जाखल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, देहरादून, तपोवन और जोशीमठ में रहने वाले लोग वलयाकार ग्रहण को देख पाएंगे। वहीं शेष भारत में लोग आंशिक ग्रहण देख सकते हैं।
बता दें कि इस ग्रहण में चंद्रमा सूर्य का करीब 99 प्रतिशत भाग ढक लेगा। वलयाकार सूर्य ग्रहण में सूर्य कंगन की भांति दिखाई देगा। इसमें सूर्य का सबसे सबसे बाहरी हिस्सा दिखाई देगा जबकि बीच का हिस्सा चंद्रमा के द्वारा छिप जाएगा।
यह सूर्य ग्रहण भारत समेत एशिया के कई देशों नेपाल, पाकिस्तान, अफ्रीका, सऊदी अरब, यूऐई, और इथोपिया में दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण तीन तरह का होता है। पूर्ण, वलयाकार और आंशिक सूर्य ग्रहण। जब चंद्रमा पूरी तरह से सूरज को ढ़क लेता है तब पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है। इस स्थिति में ग्रहण को पूर्ण सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
आंशिक सूर्य ग्रहण- जब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह नहीं ढंक पाता तो इसे खंडग्रास या आंशिक सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण- वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य का करीब 99 प्रतिशत भाग ढक लेता है और सूर्य का कुछ बाहरी हिस्सा ही दिखाई देता है।
इसमें सूर्य का बाहरी हिस्सा गोलाई में एक चमकदार कंगन की तरह दिखाई देता है और बीच के हिस्से में छाया रहती है। इसे ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है और पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया पड़ती है। इस दौरान सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी तीनों एक सीध में आ जाते हैं। 21 जून को जो सूर्य ग्रहण होगा वह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा।