इस महान गेंदबाज ने शमी की हैट्रिक को लेकर किया बड़ा खुलासा!

   

31 अक्टूबर 1987 को क्रिकेट विश्व कप के इतिहास में भारतीय खिलाड़ी के नाम एक सुनहरा कीर्तिमान लिखा गया था। इस दिन भारत के मध्यम गति के तेज गेंदबाज चेतन शर्मा ने 1987 में खेलें जा रहे वर्ल्ड कप के चौथे एडिशन में विश्व कप की पहली हैट्रिक ली। जिसके चलते पूरी क्रिकेट दुनिया में उनके नाम का डंका बज गया था।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, उन्होंने अपने तीनो विकेट में न्यूजीलैंड बल्लेबजों के स्टंप्स उखाड़ फेंके थे। कुछ इस तरह की यादों को टीम इंडिया के तेज गेंदबाज मोहम्म शमी ने 32 साल बाद भारतीय फैंस के दिलों में फिर से ताजा कर दिया है।

उन्होंने अफगानिस्तान के खिलाफ हैट्रिक लेकर चेतन शर्मा के द्वारा किया गया कारनामा जैसे ही दोहराया। वैसे ही भारत के पूर्व हैट्रिक मैन चेतन शर्मा को भी अपना टाइम याद आ गया और वो शमी के हैट्रिक लेने पर अपनी सीट से उछल पड़ें।

दरअसल, भारतीय टीम ने अफगानिस्तान के खिलाफ रोमांचक मैच में 11 रन से जीत हासिल की। जिसमें भारत के तेज गेंदबाजों ने अफगानी बल्लेबाजों के तोतें उड़ा दिए। 225 रनों के लक्ष्य में अफगानिस्तान को अंतिम ओवर में 16 रन चाहिए थे और उसके तीन विकेट बाकी थे।

तभी पहली गेंद पर चौका खाने के बाद शमी ने आखिरी ओवर की तीसरी, चौथी और पांचवी गेंद पर विकेट लेकर क्रिकेट विश्वकप के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों से लिखवा लिया। इस तरह वो विश्वकप में हैट्रिक लेने वाले दसवें जबकि दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने।

इसी बीच शमी को खुद के जैसा कीर्तिमान रचते देख चेतन शर्मा की भी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। एक नीजी चैनल से बातचीत में उन्होंने ना सिर्फ शमी को बधाई दी बल्कि उनकी दिन दुनी रात चौगुनी सफलता के पीछे का मूल कारण भी बताया।

भारत के पूर्व खिलाड़ी चेतन शर्मा ने शमी को बधाई देते हुए कहा, “मुझे बहुत ख़ुशी हुई और गर्व भी हुआ जब शमी ने कल अफगानिस्तान के खिलाफ हैट्रिक ली।

आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि 1987 में जब पहली विश्व कप की हैट्रिक हुई होगी तो लोग कितने खुश हुए होंगे। उसके बाद कल जब शमी ने हैट्रिक ली तो मैं ही अपनी सीट से दो फीट उपर तक कूद गया था।

अच्छा लगता है जब कोई भारतीय खिलाड़ी इस तरह के कारनामें करता है। मेरी मोहम्मद शमी बहुत-बहुत शुभकामनाए हैं। पहली हैट्रिक मैंने ली और दसवीं शमी ने तो पूरी दुनिया हम दोनों के बीच में हैं।”

बता दें की 32 साल पहले टीम इंडिया के बल्लेबाजों की तूती पूरे विश्व में बोलती थी। जबकि टीम का कमज़ोर पक्ष गेंदबाजी माना जता था। ऐसे में जब आधुनिक क्रिकेट का समय चल रहा है तो टीम इंडिया का अंदाज भी बदलता जा रहा है।

आज कीटीम इंडिया यानी कोहली सेना अपनी बल्लेबाजी के लिए कम बल्कि पूरे विश्व में गेंदबाजी के लिए ज्यादा जानी जाती है। जिसके पीछे का कारण टीम इंडिया के गेंदबाजो का लगातार टीम को मैच जीता कर देना है।