निर्मोही अखाड़ा के वकील ने कहा- ‘1934 में पांच वक्त की नमाज बंद हुई’

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अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। सबसे पहले निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील जैन दलील रख रहे हैं। अयोध्या मामले में निर्मोही अखाड़े के वकील ने कहा कि 1934 में 5 वक्त की नमाज बंद हुई। हर शुक्रवार सिर्फ जुमे की नमाज होती रही है। 16 दिसंबर 1949 के बाद से ये भी बंद हो गई. विवादित स्थान पर वुज़ू (नमाज से पहले हाथ, पैर आदि धोने) की जगह मौजूद नहीं है।

ज़ी न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन को हस्तक्षेप करने पर सुप्रीमकोर्ट ने फटकार लगाई। कहा कोर्ट कि मर्यादा का ख्याल रखें। सीजेआई ने कहा कोर्ट आपका पक्ष भी सुनेगा। धवन का कहना था कि शक है कि हमें पर्याप्त समय मिलेगा। सीजेआई ने कहा कि ये कोर्ट में बर्ताव करने का सही तरीका नहीं है।

जैन ने कहा- विवादित परिसर के अंदरूनी हिस्से पर पहले हमारा कब्ज़ा था जिसे दूसरे ने बलपूर्वक कब्ज़े में ले लिया। बाहरी पर पहले विवाद नहीं था। 1961 से शुरू हुआ। जैन ने कहा- मेरा केस दरअसल ज़मीन के उस टुकड़े के लिए है, जो अभी कोर्ट द्वारा नियुक्त रिसीवर के नियंत्रण में है।

निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने कहा कि परिसर के बाहरी हिस्से में स्थित सीता रसोई, भंडारगृह, चबूतरा हमारे कब्ज़े में था। 1950 में गोपाल सिंह विशारद की तरफ से दायर पहला केस अंदर के हिस्से में पूजा करने का अधिकार मांगने के लिए था।

वकील सुशील जैन ने आगे कहा कि मस्ज़िद को पुराने रिकॉर्ड में मस्ज़िद ए जन्मस्थान लिखा गया है। बाहर निर्मोही साधु पूजा करवाते रहे। हिन्दू बड़ी संख्या में पूजा करने और प्रसाद चढ़ाने आया करते थे। निर्मोही के संचालन में कई पुराने मंदिर। झांसी की रानी ने भी हमारे एक मंदिर में प्राण त्यागे थे।