यूपी पुलिस ने डॉक्टर कफ़ील खान का हिस्ट्रीशीटर में डाला!

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हाल ही में हाई कोर्ट के आदेश पर जेल से छूटे एनएसए में पाबंद कफ़ील डॉ. कफील खान अब गोरखपुर के राजघाट थाने के हिस्ट्रीशीटर बन गए हैं।

पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, गोरखपुर पुलसि ने जिन 81 नए बदमाशों और दबंगों कही हिस्ट्रीशीटर खोली है उनमें ऑक्सीजन कांड से चर्चा में आए डॉ. कफील खान का भी नाम है।

अब पुलसि की उनकी नगिरानी एक हिस्ट्रीशीटर की तरह करेगी। गोरखपुर एसएसपी के मुताबिक गोरखपुर में अब तक हिस्ट्रीशीटरों की संख्या करीब 1462 है और आने वाले दिनों में यह और बढ़ेगी।

बताते चलें क डॉ. कफील खान साल 2017 में गोरखपुर के राजकीय बाबा राघव दास मेडिकल काॅलेज में दो दिनों के अंदर 30 से अधिक बच्चों की मौत के बाद चर्च में आए थे।

घटना के वक्त कफील खान एईएस वार्ड के नोडल अधिकारी थे और उन्हें ऑक्सीजन की कमी से हुई बच्चों की मौत के मामले में आरोपी के तौर पर गिरफ्तार किया गया था।

उन्हें बर्खास्त भी किया गया था, और उस मामले में उन्हें महीनों जेल में भी रहना पड़ा था। इस मामले में उन्हें अप्रैल 2018 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली थी।

डॉ. कफील खान सीएए एनआरसी के खिलाफ हुए देशव्यापी आंदोलनों बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। उन्होंने विरोध प्रदर्शनों के दौरान मंच भी साझा किया था।

इसी दौरान अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में ऐसे ही एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उनके द्वारा दिये गए भाषणों को भड़काऊ मानते हुए उन्हें 29 जनवरी को यूपी एटीएस द्वारा मुंबई से गिरफ्तार कर लिया गया और अलीगढ़ के डीएम की रिपोर्ट पर उनके खिलाफ एनएसए लगा दिया गया।

अलीगढ़ सीजेएम कोर्ट ने डॉ. कफील खान को जमानत दे दी थी, लेकिन उनकी रिहाई के ठीक पहले उन पर एनएसए लगा दिया गया। डाॅ. कफील खान को जेल में डालने के बाद सरकार ने उन पर एनएसए लगा दिया।

इसके बाद उनके खिलाफ तीन बार एनएसए की अवधि एडवाइजरी बोर्ड की सिफारिश पर बढ़ायी गई। इस मामले में एडवाइजरी बोर्ड का तर्क था कि कफील खान को एनएसए के तहत जेल में रखने के लिये पर्याप्त कारण मौजूद हैं।

उनकी मां नुजहत परवीन की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश दिया, जिसके बाद वह कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में रह रहे हैं।