नागरिकता बिल पास नहीं हुआ तो असम जिन्नाह के कब्ज़े में चला जाएगा- बीजेपी मंत्री

, ,

   

असम सरकार में वरिष्ठ मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने रविवार (6 जनवरी, 2019) को कहा कि अगर नागरिकता (संशोधन) बिल, 2016 पास नहीं हुआ तो असम जिन्ना के पास चला जाएगा। राज्य में एक बड़ा वर्ग इस बिल का कड़ा विरोध करता है। उत्तर-पूर्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बड़े नेताओं में शुमार शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, ‘लोग चिंतित है कि हम किसी (बाहरी) को लाने की कोशिश कर रहे हैं, जो की गलत है। उस बिल के बिना हम खुद को जिन्ना के दर्शन के लिए आत्मसमर्पण कर रहे हैं। यह जिन्ना और भारत की विरासत के बीच लड़ाई है।’

बिल में अनिवार्य रूप से तीन पड़ोसी देशों बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों (या गैर-मुस्लिम) आप्रवासी को भारतीय नागरिक बनाने का प्रस्ताव है। केंद्र सरकार संसद के समक्ष विधेयक लाने की तैयारी में है और शुक्रवार को सिल्चर में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे विभाजन की गलतियों का ‘प्रायश्चित’ बताया। इस बिल को 1985 के असम समझौते के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है जिसमें साफतौर पर कहा गया कि जो आप्रवासी 24 मार्च, 1971 की आधी रात के बाद भारत की सीमा में दाखिल हुआ है उसकी पहचान विदेशी नागरिक के रूप में की जाएगी।

इस मामले में हेमंत बिस्वा शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘असम समझौते का उल्लंघन किया जाए मगर हम जिन्ना के पास ना जाएं। आपको असम समझौते और जिन्ना के बीच का निर्धारण करना होगा। तुम किस रास्ते पर जाओगे?’ जब उनसे पूछा गया कि उनके जिन्ना का मतलब मुसलमान से है तो शर्मा ने कहा कि उन्होंने जिन्ना का सिर्फ नाम लिया है और किसी समुदाय का नाम नहीं लिया।

भाजपा नेता ने आगे कहा, ‘विधेयक ही हमें मजबूत करेगा। मगर इसके बारे में अफवाहें फैलाई जा रही हैं। अगर हम लोग यहां सरभोग सीट (यह एक विधानसभा सीट है जहां बंगाली हिंदू चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चुनाव में इस सीट से भाजपा के राज्य अध्यक्ष रंजीत दास चुनाव जीते थे।) हार जाएंगे तो हम कई सीट हार जाएंगे। जांच और निर्वासन (अवैध आप्रवासियों) किया जाएगा। मगर जिन्ना की कीमत पर नहीं। जांच और निर्वासन के लिए हम बदरुद्दीन अजमल (सांसद और AIUDF प्रमुख, जिन्हें बंगाली मूल के मुस्लिमों का खासा समर्थन है।) को असम का मुख्यमंत्री नहीं बना सकते। अगर कोई हमें चीज बदरुद्दीन अजमल को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने की ओर ले जाती है तो हमें इसकी जांच करने होगी। अगर बिल पास नहीं हुआ। असमियों की 17 सीटें जिन्ना के रास्ते पर चली जाएंगी। हम असम को जिन्ना से सुरक्षित रखने की कोशिश कर रहे हैं। हम क्षमाप्रार्थी नहीं है। मैं जिन्ना के खिलाफ हूं।’

साभार- जनसता