अच्छा होता अगर भारत ट्रम्प की हार से कुछ सिख हासिल करता- शिवसेना

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बिहार चुनाव और अमेरिका चुनाव के नतीजे तकरीबन एक ही समय पर आ रहे हैं। हालांकि अमेरिका में डेमोक्रेटिक नेता जो बाइडेन जीत दर्ज कर चुके हैं, जबकि बिहार में मंगलवार को नतीजे आने हैं। 

 

आज तक पर छपी खबर के अनुसार, चुनावी नतीजों से पहले ज्यादातर एग्जिट पोल में महागठबंधन की सरकार बनती दिख रही है। ऐसे में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) विरोधियों को निशाना साधने का एक मौका मिल गया है।

 

शिवसेना के मुखपत्र सामना ने अपने संपादकीय में बिहार चुनाव और अमेरिका चुनाव को जोड़ते हुए एक लेख प्रकाशित किया है। लेख में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की हार के बहाने बीजेपी कर करारा प्रहार किया गया है।

 

लेख का शीर्षक है- तेजस्वी और बाइडन!…अटल सत्तांतर. सामना लिखता है अमेरिका में सत्ता बदल चुकी है। बिहार में सत्तांतर आखिरी पायदान पर है।

 

अमेरिका में प्रेसिडेंट ट्रंप महाशय ने भले ही कितना भी तांडव मचाया हो, फिर भी डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडन धमाकेदार वोटों की बढ़ोत्तरी के साथ राष्ट्राध्यक्ष पद का चुनाव जीत गए हैं।

 

उसी समय हिंदुस्तान के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की स्पष्ट रूप से हार होती दिख रही है। हमारे सिवाय देश और राज्य में कोई विकल्प नहीं है, इस भ्रम से नेताओं को निकालने का काम लोगों को ही करना पड़ता है।

 

सामना ने ट्रंप पर हमलावर अंदाज में लिखा प्रेसिडेंट ट्रंप राष्ट्राध्यक्ष पद के लायक कभी नहीं थे। अमेरिका की जनता उनकी वानरचेष्टा और लफ्फाजी के फरेब में आ गई लेकिन उसी ट्रंप के बारे में की गई गलती को अमेरिकी जनता ने सिर्फ 4 सालों में सुधार दिया।

 

इसके लिए वहां की जनता का जितना अभिनंदन किया जाए, उतना कम है। ट्रंप ने सत्ता में आने के लिए लफ्फाजियों की बरसात कर डाली। वे एक भी आश्वासन और वचन पूरा नहीं कर पाए।

 

अमेरिका में बेरोजगारी महामारी कोरोना से भी कहीं ज्यादा है। लेकिन उसका रास्ता खोजने की बजाय ट्रंप फालतू के मजाक, वानरचेष्टाओं तथा राजनीतिक लफंगेगिरी को ही महत्व देते रहे।

 

आखिरकार, लोगों ने उन्हें घर भेज दिया. हम दोबारा नहीं जीते तो अमेरिका का नुकसान होगा और चीन को फायदा होगा, जैसे फालतू बयान वे देते रहे. लेकिन जनता ने उन्हें मतपेटी के माध्यम से चेता दिया।

 

पहले तुम चलते बनो, देश का जो भी होगा हम देख लेंगे! लेकिन हारने के बाद भी जो आसानी से सत्ता छोड़ दे वो ट्रंप कैसे? उन्होंने कोर्टबाजी और आरोप-प्रत्यारोप शुरू कर दिया।

 

इतना ही नहीं, अपने किराए के समर्थकों को बंदूकों के साथ सड़कों पर उतार दिया। हिंसाचार करवाया। ऐसे इंसान के हाथ में अमेरिका का नेतृत्व चार साल रहा और हिंदुस्तान के भाजपाई नेता और सत्ताधीश ‘नमस्ते ट्रंप’ के लिए करोड़ों रुपए उड़ा रहे थे।

 

नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम को कोरोना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए सामना ने लिखा, ‘कोरोना’ काल में ट्रंप को गुजरात में निमंत्रित करके सरकारी खर्च से प्रचार किया गया और उसी से कोरोना का संक्रमण फैला, इसे नाकारा नहीं जा सकता। अब अमेरिका के लोगों ने ट्रंप का संक्रमण ही हमेशा के लिए खत्म कर दिया है।

 

बाइडन, अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष बन रहे हैं और अध्यक्ष पद पर आते ही उन्होंने पहले दिन ही कोरोना प्रतिबंध कृति योजना प्रस्तुत करने की बात कही है। इसके पहले ट्रंप ने कोरोना को लेकर सिर्फ मजाक, मजा और टाइमपास ही किया।

 

ट्रंप ने हार स्वीकार नहीं की है. वोटों की गिनती और मतदान में घोटाला होने का उन्होंने हास्यास्पद आरोप लगाया है।