सीमी संगठन पर सरकार का एक बार फिर से प्रतिबंध, जानिए क्या है पुरा मामला!

   

केंद्र सरकार ने कथित तौर आतंकी गतिविधियों में शामिल स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानि सिमी को सरकार ने 5 और साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। ये प्रतिबंध लगाते हुए सरकार ने कहा कि यह लगातार विध्वंसक गतिविधियों में शामिल है।

ये प्रतिबंध गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम, 1967 की धारा 3 की उप धाराएं (1) और (3) के तहत लगाया गया है। इस अधिनियम का इस्तेमाल करते हुए गृह मंत्रालय ने सिमी को गैर कानूनी संगठन घोषित कर दिया है।

यह अधिसूचना उपरोक्त अधिनियम की धारा 4 के तहत किए जा सकने वाले किसी भी आदेश के अधीन है, जिसका प्रभाव पांच साल की अवधि के लिए होता है।

गृह मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा कि यदि सिमी की गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया और इस पर तुरंत नियंत्रित नहीं किया गया तो ये अपनी विध्वंसक गतिविधियों को जारी रखेगा। अपने फरार कार्यकर्ताओं को संगठित कर दिश विरोधी भावनाएं पैदा करेगी।

नवोदय टाइम्स के मुताबिक, सिमी का गठन 25 अप्रैल 1977 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था। शुरुआत में सिमी को जमात-ए-इस्लामी हिंद के स्टूडेंट विंग के रूप में जाना जाता था।

जमात-ए-इस्लामी हिंद इस्लाम को ‘वे ऑफ लाइफ’ मानता है जिसका शुरुआती मकसद भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का था लेकिन अब जे आई एच सेक्युलर स्टेट की बात करता है। सिमी को मोहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दिकी की ईजाद माना जाता है। सिद्दिकी अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में मीडिया स्टडीज के प्रफेसर थे।

सिमी को भारत में आतंकी गतिविधियों में अपनी भागीदारी के लिए 2002 में भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। हांलाकि अगस्त 2008 में एक विशेष न्यायाधिकरण में सिमी पर प्रतिबंध हटा लिया गया था।

बाद में ये प्रतिबंध भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 6 अगस्त 2008 को बहाल कर दिया गया था। ये 2019 तक प्रतिबंधित था, इसके बाद एक बार फिर सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया।

उत्तर प्रदेश में जन्मे सिमी का मध्य प्रदेश से गहरा कनेक्शन माना जाता है। इस मामले में सबसे ज्यादा गिरफ्तारी मध्य प्रदेश से ही हुई हैं। मोदी सरकार द्वारा 2015 में इसे प्रतिबंधित करते हुए सख्त कार्रवाई की थी। वहीं, कुछ पार्टियों द्वारा इसकी तुलना आरएसएस से भी की जाती है।