आखिरी सदन सत्र: तीन तलाक़ बिल पास नहीं हुई तो माना जायेगा रद्द!

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नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में संसद का आखिरी सत्र 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। ये सत्र सरकार के लिए बेहद अहम होने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो बिल सरकार ने पेश किए हैं, उनमें से कई लंबित हैं। अगर इस सत्र में ये बिल पास नहीं हुए तो ये रद्द माने जाएंगे।
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अमर उजाला के मुताबिक, ये सत्र 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चलेगा। जिनमें से 10 दिन वर्किंग हैं। इन दस दिनों में से शुरुआत के 2 दिन अंतिम बजट और दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के भाषण को समर्पित होंगे।

2 महीने तक चले शीत सत्र में सरकार ने कई बिल पेश किए और पास भी कराए। अब इस आखिरी सत्र में सरकार के लिए तीन महत्वपूर्ण बिल पास कराना बेहद जरूरी है।

ताकि यह तुरंत प्रभाव में आ सकें। इनमें से एक है तीन तलाक को अपराध की श्रेणी में लाना, दूसरा है मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को चलाने के लिए पैनल को मंजूरी और तीसरा है कंपनी कानून में संशोधन को मंजूरी दिलाना।

मौजूदा समय में सरकार को तीन तलाक मुद्दे पर विपक्षी दलों के उग्र प्रतिरोध का सामना करना पड़ा रहा है। वहीं नागरिकता अधिनियम जिसका काफी विरोध हो रहा है, सरकार भी उसपर अडिग है। इस बिल के तहत तीन पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता पाना आसान किया गया है।

नागरिकता अधिनियम भी बीते सत्र में राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था, ऐसा इसलिए क्योंकि इस बिल का भी विपक्ष द्वारा खूब विरोध किया जा राह है। दोनों सदनों में 3-4 दिन राष्ट्रपति के भाषण और बजट पर चर्चा होगी। वहीं 11 फरवरी को शुक्रवार के दिन भी प्राइवेट मेंबर बिल पर चर्चा होगी। इनमें मुख्य बिलों के लिए महज 3-4 दिन ही बचते हैं, जिनमें अध्यादेशों को बदलना भी शामिल है। जिन दिन राष्ट्रपति दोनों सदनों को संबोधित करेंगे, उस दिन केवल मुख्य कागजात पेश किए जा सकेंगे।

संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे। ये बैठक बुधवार को हो सकती है। एक ओर जहां सरकार इन बिलों को पास कराने पर जोर दोगी, वहीं दूसरी ओर विपक्ष कई मुद्दों पर बहस करने की अपेक्षा कर रहा है। राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू और लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन भी सत्र से पहले अलग-अलग सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे।

तोमर का कहना है कि महाजन और नायडू की बैठक में एंजेंडा को विस्तार से तय किया जाएगा। लेकिन अगर ऐसा होता है तो विभिन्न मुद्दों पर बहस के लिए समय ही नहीं बचेगा। जिनपर विपक्ष सर्वदलीय बैठक में बहस की अपेक्षा कर रहे हैं।

संसदीय मामलों के पूर्व सचिव अजमल अमानुल्लाह का कहना है, “यह सरकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण बजट सत्र होगा क्योंकि इसमें काम बहुत है और समय बिल्कुल नहीं। इसके लिए अच्छे समय और फ्लोर मैनेजमेंट की आवश्यकता होगी ताकि व्यवधानों के कारण समय नष्ट न हो।” लोकसभा का वर्तमान कार्यकाल बिना भंग किए 3 जून को समाप्त होगा।

लोकसभा की प्रक्रिया के अनुसार लोकसभा में पेश किया गया कोई भी विधेयक अगर किसी भी सदन में लंबित है तो वह कार्यकाल के साथ ही समाप्त हो जाएगा। वहीं अगर कोई बिल राज्यसभा में पेश हुआ है और पास भी हुआ है तो वो भी रद्द हो जाएगा, अगर वह लोकसभा में लंबित है।