पश्चिम बंगाल में अर्द्धसैनिक बल तैनात करने की मांग उठी!

   

पश्चिम बंगाल में लगातार हो रही हिंसा और भाजपा-तृणमूल कांग्रेस के बीच बढ़ते टकराव को रोकने के लिए मोदी सरकार एक्शन में आ गई है। राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने गृहमंत्रालय को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि राज्य सरकार हिंसक घटनाओं को रोकने में पूरी तरह विफल रही है।

रिपोर्ट में कथित तौर पर इस बात का जिक्र है कि ममता सरकार के आला अफसर जान-बूझ कर प्रदेश में हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। ऐसे हालात में वहां बड़े पैमाने पर अर्द्धसैनिक बल (पैरामिलिट्री फोर्स) तैनात किए जाए।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, गृह मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल के एक दर्जन से अधिक आईएएस-आईपीएस अफसरों का नाम भी है, जिनके बारे कहा गया है कि ये अफसर जान-बूझ कर कानून व्यवस्था को खराब करा रहे हैं।

मौजूदा हालात में गृह मंत्रालय जल्द ही 150 से ज्यादा कंपनियों को पश्चिम बंगाल के लिए रवाना कर सकता है। इसके लिए सभी पैरामिलिट्री फोर्स को अलर्ट भेज दिया गया है।

पश्चिम बंगाल के गवर्नर केसरीनाथ त्रिपाठी आज पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में गवर्नर की ओर से वे सभी विकल्प पीएम और गृह मंत्री के समक्ष रखे जाएंगे, जिनसे पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा को तुरंत प्रभाव से रोका जा सके। मंत्रालय के अधिकारी बताते हैं कि अभी राज्य सरकार को बर्खास्त करने जैसी सख्त कार्रवाई की संभावना बेहद कम है।

गवर्नर द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में यह बात साफ तौर पर लिखी है कि राज्य सरकार चाहती तो हिंसा थम सकती थी। आरोप है कि ममता सरकार के अफसर हिंसा को नहीं रोक रहे हैं।

अफसरों के पास भाजपा की ओर से लिखित और मौखिक शिकायतें देने के बावजूद दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही। अगर ऐसे हालात में जल्द ही वहां पैरामिलिट्री फोर्स तैनात नहीं की गई तो हिंसा बेकाबू हो जाएगी।

उधर आईबी की रिपोर्ट भी बहुत कुछ कह रही है। खुफिया एजेंसी ने भी कहा है कि स्थानीय प्रशासन हिंसा को नहीं रोक पा रहा है। अगर यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में हिंसक घटनाएं तेजी से बढ़ सकती हैं। इतना ही नहीं, रिपोर्ट में यह शक भी जताया गया है कि हिंसक घटनाएं नहीं थमी तो ये बड़े पैमाने पर राजनीतिक हिंसा का रूप ले सकती हैं।