मोदी सरकार के बड़े- बड़े दावे और बेरोजगारी के आकड़े, क्या है हक़ीक़त?

   

भारत की मोदी सरकार को उस समय ज़ोर का झटका लगा जब बेरोज़गारी पर तैयार की गई एक ख़ुफ़िया रोपोर्ट लीक हो गई। ताज़ा रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में हुई नोटबंदी के बाद से बढ़ी बेरोज़गारी ने 45 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

‘parstoday.com’ भारतीय मीडिया की ख़बरों के अनुसार, नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की एक रिपोर्ट ने जहां एक ओर मोदी सरकार की नोटबंदी की पोल खोल दी है वहीं इस रिपोर्ट के माध्यम से यह बात सामने आई है कि वर्ष 2017-18 में भारत के शहरी क्षेत्रों के पुरुष युवाओं में 18.7 प्रतिशत बेरोज़गारी दर है जबकि महिलाओं में यह दर 27.2 फ़ीसदी है। बेरोज़गारी की दर 2011-12 में केवल 2.2 प्रतिशत थी।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ भारत में बेरोज़गारी की दर पिछले 45 साल में सबसे अधिक हो गई है। यह दावा नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की उस रिपोर्ट के आधार पर किया गया है, जिसे मोदी सरकार की तरफ़ से जारी नहीं करने के विवाद के बीच नेशनल स्टैटिस्टिकल कमीशन के दो सदस्यों को अपने पद से इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

इस विवाद के बीच एक अंग्रेज़ी समाचार पत्र ने एनएसएसओ की रिपोर्ट के हवाले से ख़बर छापी है और दावा किया है कि भारत में नोटबंदी के बाद बेरोज़गारी अपने चरम पर है।

उल्लेखनीय है कि नेशनल स्टैटिस्टिकल कमीशन के हाल ही में दो सदस्यों ने त्यागपत्र दिया है, उन दोनों के इस्तीफ़े का कारण सरकार की तरफ़ से बेरोज़गारी से जुड़ी एनएसएसओ की रिपोर्ट को जारी नहीं करने का दबाव माना जा रहा है।

आपको बता दें कि एनएसएसओ ने भारत में बढ़ती बेरोज़गारी पर रिपोर्ट दिसंबर महीने में ही तैयार कर ली थी, लेकिन मोदी सरकार ने देश में होने वाले आगामी चुनाव को देखते हुए इस रिपोर्ट को जारी न करने का फ़ैसला किया था।

एनएसएसओ के दो सदस्यों के त्यागपत्र देने पर मोदी सरकार ने गुरुवार को सफ़ाई देते हुए कहा कि हमने उन्हें पहले ही बता दिया था कि रिपोर्ट कब जारी की जाएगी, यह निर्णय सरकार का होगा। मोदी सरकार शुक्रवार को अपना अंतरिम बजट पेश करने वाली है, ऐसे में बजट से एक दिन पहले बेरोज़गारी पर आई इस रिपोर्ट ने एक हंगामा खड़ा कर दिया है।