किसानों और सरकार के बीच आज बातचीत हो सकती है!

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सोमवार को सरकार और आंदोलनकारी किसान संगठनों के बीच वार्ता अहम है। सरकार और किसान संगठनों के साथ-साथ समूचे देश-दुनिया की नजर इस वार्ता पर टिकी है।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, यह बातचीत ‘भरोसे’ की बातचीत साबित हो सकती है। सरकार कानून वापस लेने को हरगिज तैयार नहीं है और आंदोलनकारी किसान इससे कम पर मानने को राजी नहीं।

ऐसे में क्या सोमवार को फिर बात नहीं बनेगी या बात से ही बनेगी बात।विज्ञापनवार्ता से पहले मंथनकिसान संगठनों ने सरकार से सातवें दौर की बातचीत से पहले रविवार को अपनी रणनीति पर चर्चा की।

उधर सरकार में भी कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर की अमित शाह और राजनाथ सिंह से लगातार मंत्रणा हुई।संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में तय हुआ कि सरकार से केवल तीनों कानूनों की वापसी की प्रक्रिया और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की प्रक्रिया पर चर्चा होगी।

यूं तो इस वार्ता में भी सभी 40 किसान संगठनों के नुमाइंदे शामिल होंगे लेकिन सरकार के वार्ताकार मंत्री समूह से आधिकारिक बातचीत के लिए किसान नेता डॉ. दर्शनपाल, हन्नान मोल्लाह, बलबीर राजेवाल अधिकृत होंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा ने वार्ता में शामिल होने वाले 40 किसान संगठनों की ओर से इन्हें अधिकृत किया है।इससे पहले ही 26 जनवरी तक के प्रस्तावित आंदोलन की घोषणा की जा चुकी है। सोमवार को सरकार से गतिरोध की स्थिति में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर नजर रहेगी।

संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 जनवरी को कुंडली-मानेसर-पलवल मार्ग पर ट्रैक्टर मार्च का एलान कर रखा है। 13 जनवरी को लोहड़ी में कृषि कानूनों की प्रति जलाकर सांकेतिक विरोध, 18 जनवरी को महिलाओं का समर्थन जुटाने, 23 जनवरी को आजाद हिंद किसान आंदोलन की घोषणा।

6 से 20 जनवरी कृषि कानूनों के विरोध में जागरूकता मुहिम, धरना-प्रदर्शन की तैयारी। 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च।टकराव रोकने को ब्रिगेडरविवार को रेवाड़ी, संगरूर और होशियारपुर में टकराव की स्थिति बनी।

रेवाड़ी से दिल्ली कूच कर रहे किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।

ऐसे में अब अहिंसक आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की चिंता और चुनौती बढ़ी है। किसान संगठनों ने चार हजार युवाओं की यूथ ब्रिगेड तैयार की है, जो टकराव रोकेगी।