अमेरिका ने भारत को विकासशील देशों की लिस्ट से बाहर किया!

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अमरीका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 24 फरवरी के अपने भारत दौरे से पहले ट्रेड डील को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं, लेकिन सच तो यह है कि हाल में ही यूएस प्रशासन ने भारत को ऐसा झटका दिया है जिससे हमारे निर्यात पर काफी गंभीर असर पड़ सकता है।

 

डेली न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, असल में अमरीका ने भारत को कारोबार के लिहाज से विकासशील देशों की सूची से बाहर कर दिया है।

 

अमरीका के व्यापार प्रतिनिधि ने इस हफ्ते विकासशील देशों की सूची से भारत को बाहर कर दिया है। इसका मतलब यह है कि भारत अब उन खास देशों में नहीं रहेगा, जिनके निर्यात को इस जांच से छूट मिलती है वे अनुचित सब्सिडी वाले निर्यात से अमरीका के उद्योग को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहे।

 

इसे काउंटरविलंग ड्यूटी जांच से राहत कहा जाता है। इस सूची से ब्राजील, इंडोनेशिया, हांगकांग, दक्षिण अफ्रीका और अर्जेंटीना को भी इस सूची से बाहर कर दिया है। अमरीकी प्रशासन का कहना है कि यह लिस्ट 1998 में बन गई थी और अब अप्रासंगिक हो चुकी है।

 

भारत को विकासशील देशों की सूची से बाहर करने देने से सबसे बड़ा नुकसान यह है कि अमरीका के तरजीही फायदों वाले जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंस में फिर से शामिल होने की भारत की उम्मीदों पर तुषारापात हो गया है।

 

कई तरह के फायदों वाले इस सूची में सिर्फ विकासशील देशों को रखा जाता है। यानी अमरीका ने बड़ी चालाकी से भारत के इसमें शामिल होने के रास्ते ही बंद कर दिए हैं।

 

पिछले साल जब अमरीका ने इस सूची से भारत को बाहर किया था तो भारत ने यह मजबूत तर्क दिया था कि जीएसपी के फायदे सभी विकासशील देशों को बिना किसी लेनदेन की शर्त के साथ मिलने चाहिए और इनका इस्तेमाल अमरीका अपने व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए नहीं कर सकता।

 

अमरीका का कहना है कि भारत अब जी-20 का सदस्य बन चुका है और दुनिया के व्यापार में इसका हिस्सा 0.5 फीसदी से ज्यादा हो चुका है। यह हाल तब है कि जब भारत अमरीका से ट्रेड डील करने और उसके तरजीही फायदों वाले जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंस में फिर से शामिल होने की कोशिश कर रहा है।

 

लेकिन अब जीएसपी में शामिल होने की भारत की राह काफी कठिन हो गई है। यूएसटीआर ने कहा कि जिन देशों का विश्व व्यापार में 0.5 फीसदी या उससे ज्यादा हिस्सा होता है, उसे हम सीवीडी कानून के हिसाब से विकसित देश की श्रेणी में रखते हैं।

 

इससे अब अमरीका को होने वाले भारतीय उत्पादों के निर्यात को तरह-तरह की अड़चनों से गुजरना पड़ सकता है। अगर किसी अमरीकी इंडस्ट्री लॉबी ने यह आरोप लगा दिया कि किसी उत्पाद में भारत सरकार के सब्सिडी की वजह से अमरीकी हितों को चोट पहुंच रही है, तो इसकी जांच शुरू हो जाएगी और उस वस्तु का अमरीका को भारतीय निर्यात ठप हो जाएगा।

 

इस निर्यात पर रोक भी लगाई जा सकती है। यह खासकर कृषि उत्पादों के लिए नुकसानदेह हो सकता है जिसमें कि उर्वरक, बिजली जैसी कई चीजों पर भारत सरकार सब्सिडी देती है।

 

साल 2018-19 में भारत के 6.35 अरब डॉलर के निर्यात वस्तुओं को जीएसपी के तहत रखा गया था, हालांकि अमरीका में कुल भारतीय निर्यात 51.4 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था, लेकिन जीएसपी खत्म होने से खासकर भारत के ज्वैलरी, लेदर, फार्मा, केमिकल और एग्रीकल्चर उत्पादों को बहुत मुश्किल आ रही है, क्योंकि उनकी निर्यात लागत बढ़ गई है और उन्हें कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ रहा है।

 

भारत का कहना है कि जीएसपी के फायदे सभी विकासशील देशों को बिना किसी लेनदेन की शर्त के साथ और इनका इस्तेमाल अमरीका अपने व्यापारिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए नहीं कर सकता।