विभिन्न बिमारीयों के कारण गुजरात में 15000 नवजात शिशुओं की मौत!

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राज्य सरकार ने मंगलवार को विधानसभा को बताया कि गुजरात में नवजात शिशु देखभाल इकाइयों में विभिन्न बीमारियों के कारण 15,000 से अधिक शिशुओं की मृत्यु हो गई।

 

न्यूज़ स्टेट पर छपी खबर के अनुसार, राज्य के लगभग सभी जिलों में स्थापित नवजात शिशु देखभाल इकाइयों में ये मौतें हुई।

 

प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायकों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि गुजरात में 2018 और 2019 के दौरान ऐसी इकाइयों में भर्ती हुए 1.06 लाख शिशुओं में से 15,013 शिशुओं की इलाज के दौरान की मृत्यु हो गई।

 

पटेल स्वास्थ्य विभाग भी संभालते हैं. अपने लिखित उत्तर में पटेल ने कहा कि इन 1.06 लाख बच्चों में से 71,774 सिविल अस्पतालों में पैदा हुए थे और बाद में इलाज के लिए नवजात शिशु देखभाल इकाइयों में लाए गये थे।

 

मंत्री ने कहा कि अन्य अस्पतालों में पैदा होने वाले 34,727 शिशु बाद में इन देखभाल इकाइयों में लाए गए थे. उन्होंने कहा कि सबसे अधिक शिशुओं की मौत क्रमश: अहमदाबाद(4,322), वडोदरा (2,362) और सूरत (1,986) में हुई।

 

अपने उत्तर में पटेल ने नवजात देखभाल इकाइयों में सुविधाओं में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों को भी सूचीबद्ध किया।

 

इन उपायों में बाल रोग विशेषज्ञों और चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति को प्राथमिकता देना, डॉक्टरों और नर्सिंग कर्मचारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण और इन इकाइयों में उपकरणों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखना शामिल था।

 

इसके पहले सोमवार खबर आई थी कि बीते दो साल में गुजरात में एक लाख किलोग्राम से अधिक गोमांस जब्त किया गया है। विधानसभा में सोमवार को यह जानकारी दी गई।

 

यह जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस को 2017 में लाए गए संशोधित गोहत्या कानून के प्रभाव को लेकर सवाल खड़े करने का मौका मिल गयाा।

 

गौरतलब है कि संशोधित गुजरात पशु संरक्षण अधिनियम में गाय या गोवंश की हत्या के लिये अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।

 

राज्य के गृह विभाग ने प्रश्न काल के दौरान कहा कि राज्य के विभिन्न हिस्सों में 2018 और 2019 में 1,00,490 किलो गोमांस जब्त किया गया है।