कोरोना वायरस की वजह से अमेरिका में लॉक डाउन कर दिया गया है। करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई हैं। ऐसे में H-1B वीजा पर अमेरिका में रहने वाले लोगों के सामने जून तक देश छोड़ने का खतरा पैदा हो गया है। इस तरह के वीजा पर ज्यादातर भारतीय ही अमेरिका में रह रहे हैं। विशेष कौशल वाले लोगों के लिए बनाया गया यह एक अस्थायी वीजा कार्यक्रम है। इसे हासिल करने वाले व्यक्ति बिना भुगतान के केवल 60 दिनों तक ही कानूनी रूप से अमेरिका में रह सकते हैं। लिहाजा, जून तक कई ऐसे लोगों के सामने अमेरिका में रहने का संकट खड़ा हो सकता है, जो H-1B वीजा पर वहां हैं।
मगर, समस्या यहीं खत्म नहीं होती है। अगर ऐसे भारतीय वापस आना भी चाहेंगे, तो यह भी संभव नहीं हो पाएगा। दरअसल, भारत ने अनिश्चित काल के लिए अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है। वॉशिंगटन डीसी में आव्रजन नीति विश्लेषक जेरेमी नेफल्ड के अनुसार, करीब ढाई लाख अतिथि कर्मचारी ग्रीन कार्ड हासिल करने की कोशिश में हैं, जिसमें से करीब दो लाख H-1B वीजा धारक भी शामिल हैं, जो जून के अंत तक अमेरिका में रहने की अपनी कानूनी स्थिति खो सकते हैं।
दूर से काम करने वाले कार्यालयों का समर्थन करने के लिए तकनीकी उद्योग महत्वपूर्ण हैं। टेकनेट में संघीय नीति और सरकार के संबंधों के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एलेक्स बर्गोस ने कहा कि डॉक्टरों को टेलीहेल्थ सेवाएं प्रदान करने और छात्रों को घर पर सीखने में ये मदद कर रहे हैं। हमने देखा है कि प्रशासन टैक्स फाइलिंग की समय सीमा बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वीजा कार्यक्रमों में भी इसी तरह का लचीलापन समझ में आता है क्योंकि यहां किसी की भी कोई गलती नहीं है।