एक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में 3.35 लाख प्रवासी श्रमिक हैं, जिनमें से दो लाख को सरकार ने लॉकडाउन के दौरान आश्रय व भोजन प्रदान करके राहत देने की बात कही है। इसी पर उच्च न्यायालय ने सरकार से प्रश्न किया है कि बाकी के प्रवासियों का क्या हुआ?
उच्च न्यायालय ने कहा कि लॉकडाउन में दो लाख लोगों के लिए आश्रय स्थान प्रदान करना, भोजन की सुविधा मुहैया कराना सराहनीय है पर शेष प्रवासी श्रमिकों के बारे में भी पता लगाया जाए और उनके बारे में जो भी जानकारी मिले, उसे सूचित करने का आदेश दिया।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान और न्यायमूर्ति ए अभिषेक रेड्डी की पीठ ने मंगलवार को सरकार को 6 मई तक अपनी रिपोर्ट देने का आदेश दिया।
पीठ ने सरकार को याद दिलाया कि संविधान के निर्देश यह निर्धारित करते हैं कि सरकार को आजीविका के लिए आने वाले प्रवासियों की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि यह उनके जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
महाधिवक्ता बीएस प्रसाद ने कहा है कि दो लाख लोगों को आश्रय, भोजन आदि का प्रबंध किया गया है। याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि प्रवासी श्रमिक लॉकडाउन से पीड़ित हैं और कइयों तक अब तक ये सुविधाएं नहीं पहुंची है।
कामारेड्डी में दो प्रवासी श्रमिकों की मौत होने की बात भी कही गई। अगली सुनवाई 6 मई को होगी।
पीठ ने सरकार से यह भी पूछा कि कितने पीपीई किट, एन 95 मास्क, सैनिटाइजर और दस्तानों की आवश्यकता है और और कितने उपलब्ध हैं, इसकी भी रिपोर्ट पेश की जाए।